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________________ भर नहीं बोलते। ये उससे बिगाड़ते भी नहीं। उसे बातचीत करने का अवसर नहीं देते, ऐसे व्यक्ति 20 वर्ष की आयु तक भावुक होते हैं और हृदय शीघ्र द्रवित हो जाता है। उस स्थिति में यह आंसू बहाने लगते हैं। ऐसे व्यक्ति कोई बात छिपाकर नहीं रख सकते। अपने मन की बात कह कर इनके सभी भेद लेना बहुत आसान है। उस दशा में ये अपने गुप्त रहस्य भी कह डालते हैं। इनका जीवन खुली किताब होता है। ऐसे व्यक्ति संघर्षशील जीवन व्यतीत करने के पश्चात् सुखी होते हैं और पूर्णतया स्वनिर्मित होते हैं। ये भावुक, विद्वान व दयालु होते हैं और व्यर्थ की बात पसन्द नहीं करते। मस्तिष्क रेखा अच्छी होने पर इनमें सहनशीलता अधिक होती है। ऐसे व्यक्ति झगड़ा पसन्द नहीं करते। व्यर्थ के झगड़ों में पड़ना इनके वश की बात नहीं। हमेशा ही स्पष्ट बात कहने से घबराते हैं। परन्तु यदि कहनी ही पड़े तो स्पष्टवक्ता होते हैं। ऐसे व्यक्तियों से रिश्तेदार, नौकर, मित्र आदि सभी लोग लाभ उठाते हैं और ये यथाशक्ति सभी की सहायता करने वाले होते हैं। किसी भी पक्ष को नाराज नहीं करते। निर्णय देते समय ऐसे व्यक्ति ऐसा निर्णय देते हैं जो दोनों पक्षों को मान्य होता है। बीच-बचाव करके समझौता कराने के गुण ऐसे व्यक्तियों में विशेषता देखे जाते हैं। हृदय व मस्तिष्क रेखा समानान्तर हों तो ये दूध का दूध, पानी का पानी कर देते हैं। दूसरों के प्रभाव में ये शीघ्र आ जाते हैं और वहमी होते हैं। विश्वास करते हैं तो ये हानि भी उठाते हैं। ऐसे समाज में जहां इनके विचारों में समानता नहीं होती, ये अलग हट जाते हैं या उस समाज अथवा पार्टी का बहिष्कार कर देते हैं। सम्बन्धविच्छेद होने के पश्चात् न उधर जाते हैं, न ही कभी उस विषय में सोचते हैं। सिद्धान्त के विषय में ये दृढ होते हैं, अपने जीवन के नियम व सिद्धान्तों का निश्चित रूप से पालन करते हैं। मस्तिष्क रेखा में दोष होने पर इन्हें बरदाश्त कम होता है। अत: विचार विषमता होने पर कटु आलोचना करने वाले होते हैं। आरम्भ में ऐसे व्यक्ति खर्चीले और जल्दबाज होते हैं। दीन व हीन व्यक्ति के प्रति ये सदैव ही उदार होते हैं तथा पात्रता को न देखते हुए सहायता करते हैं। कितना भी विरोध होने पर ये किसी से बिगाड़ते नहीं। बल्कि सम्पर्क कम कर देते हैं या उस वातावरण से दूर हट जाते हैं। परन्तु यदि किसी कारणवश बिगड़ भी जाए, तो जीवनभर बोलचाल या मेलजोल होने की नौबत नहीं आती। हां, क्षमा मांगने पर क्षमा अवश्य कर देते हैं। स्त्रियों में भी उपरोक्त गुण होते हैं। ऐसी स्त्रियां किसी बात को महसूस अधिक करती हैं। उदार व दयालु होती है। अतः दयावश अन्य व्यक्तियों के द्वारा हानि सहन करती हैं। दूसरों के प्रभाव में शीघ्र आने से ये कई बार कई प्रकार की हानि उठाती हैं। ये जल्द ही प्रसन्न और जल्द ही नाराज हो जाती हैं। अन्ततोगत्वा प्रसन्न ही रहती हैं। ऐसे व्यक्ति जहां भी जाते हैं, इन्हें प्रेम व सौहार्द का वातावरण मिलता है। विचारों 45 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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