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________________ व्यक्तियों को शीघ्र-पतन का रोग हो जाता है। ऐसे व्यक्तियों के परिवार में सभी व्यक्तियों का स्वभाव कठोर होता है। ऐसे व्यक्ति साहसी होते हैं और हमेशा ही कमजोर का पक्ष लेते हैं। ये उग्र देवताओं की उपासना करने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति को सौम्य सात्विक देवताओं की उपासना करनी चाहिए, इससे मानसिक शान्ति व विशेष लाभ होता है। ___ कठोर हाथ होने पर अंगूठा कम खुलने की दशा में व्यक्ति को विशेष रूप से मानसिक अशान्ति रहती है। स्त्री होने पर ऐसी स्त्रियों को स्नायु रोग हो जाता है। ऐसी स्त्रियां अधिक महसूस करने वाली होती हैं। ये दूसरों के लिए कही गई बात अपने लिए समझकर झगड़ा कर लेती हैं। वैसे ये सरल हृदय होती हैं और समझाने व मनाने पर शीघ्र ही मान जाती हैं। ___जीवन रेखा में द्वीप या टूटी होने की दशा में ऐसे व्यक्तियों की रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन कराना पड़ता है। रीढ़ की हड्डी में दर्द, हड्डी खिसकना आदि रोग होते हैं। कुछ भी हो ऐसे व्यक्ति मेहनती, सरल-हृदय, कठोर, उग्र तथा मानसिक रूप से अशान्त पाये जाते हैं। चमसाकार हाथ यदि कठोर हो तो ऐसे व्यक्ति जल्दबाज होते हैं। ऐसे व्यक्तियों की सन्तान अधिक महसूस करने वाली तथा लापरवाह होती है। बड़ी आयु में सन्तान से भी ऐसे व्यक्तियों का विरोध रहता है। मां-बाप से भी इनके विचार नहीं मिलते। ऐसे व्यक्तियों के मां-बाप लालची होते हैं और सत्तान को नियंत्रण में रखना पसन्द करते हैं। ऐसे व्यक्तियों की पहली सन्तान को शिक्षा में रूकावट होती है। ऐसा उस दशा में होता है, जबकि सन्तान का जन्म 30 वर्ष की अवस्था से पहले हो। यह रूकावट इनके घर के वातावरण में चिड़चिड़ापन होने के कारण होती है। ऐसे व्यक्ति साहसी होते हैं तथा सदैव ही कमजोर का पक्ष लेते हैं। ये उग्र देवताओं की उपासना करने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति को सौम्य एवं सात्विक देवताओं की उपासना करनी चाहिए, इनसे मानसिक शान्ति व विशेष लाभ होता है। कठोर हाथ वाले व्यक्तियों को रोग बहुत कम होते हैं, तो भी इन्हें कमर दर्द, गुर्दे व जिगर की बीमारियां देखने में आती हैं। इनका पेट असन्तुलित रहता है अतः पेट में कोई न कोई रोग पाया जाता है, चाहे कब्ज ही क्यों न हो। जीवन रेखा के आरम्भ में दोष होने पर इन्हें पेचिश, संग्रहणी, अपच आदि रोग पाये जाते हैं। मस्तिष्क रेखा व हृदय रेखा पास, या जीवन रेखा सीधी होने पर ऐसे व्यक्तियों को खांसी, नजला या दमें जैसा रोग हो जाता है। व्यापारिक हाथ = - वास्तव में बनावट की दृष्टि से व्यापारिक हाथ कोई विशेष प्रकार का हाथ 35 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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