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________________ की दशा में इन हाथों में खराब फलों में कमी हो जाती है। कठोर हाथ वाले व्यक्तियों को संघर्ष अधिक करना पड़ता है और अपने किए हुए कार्य का फल अपेक्षाकृत कम मिलता है। अधिक कठोर होने पर इन्हें संघर्ष तो अधिक करना ही पड़ता है, जीवन में मानसिक शान्ति भी नहीं मिलती। ऐसे व्यक्ति मेहनती, स्वभाव के सख्त व अनुशासित होते हैं। इनका स्वास्थ्य अच्छा होता है। या. तो ये बीमार ही नहीं पड़ते या जब बीमार होते हैं तो लम्बे समय तक चलते हैं। कठोर हाथ में प्रायः रेखाएं कम देखने में आती हैं। अत: थोड़े भी दोष का प्रभाव इनमें अधिक होता है। ऐसे व्यक्तियों को दूसरों से सहयोग नहीं मिलता, परिवार या माता-पिता से भी ऐसे व्यक्ति कम लाभ उठाते हैं। अपने परिश्रम के द्वारा ये अपने परिवार की नींव तो मजबूत कर जाते हैं, परन्तु अपनी उन्नति से उन्हें सन्तुष्टि नहीं होती। मरते दम तक इन्हें काम करना पड़ता है तो भी नकद कम बचता है और सम्पत्ति अधिक होती है। ऐसे व्यक्तियों के जीवन में अनेक परिवर्तन होते हैं और इन्हें अनेक स्थान भी बदलने पड़ते हैं। हाथ कठोर होने पर मस्तिष्क रेखा अधिक लम्बी या दोषपूर्ण हो तो ऐसे व्यक्ति अपनी बुद्धि का लाभ कम उठा पाते हैं। मध्यायु के पश्चात् ही इन्हें पूर्ण लाभ प्राप्त होता है। ऐसे व्यक्तियों में सहनशीलता की कमी होती है। जीवन रेखा सीधी होने पर तो विशेष रूकावट और संघर्ष करना पड़ता है। रेखाएं सुन्दर और हाथ दोषपूर्ण न होने की दशा में कुछ समय तक हो सकता है कि सट्टे आदि कार्य से लाभ हो, लेकिन अन्त में हानि ही होती है। ऐसे व्यक्तियों को आगे आने वाली घटनाओं का कई बार पता लग जाता है, परन्तु स्वयं उसका लाभ नहीं उठा पाते। शुक्र उठा होने पर इनका जीवन देर से अर्थात् 35 और 43 वर्ष के बाद ही बनता है। जीवन रेखा दोहरी होने की दशा में ऐसे व्यक्ति उत्तम कोटि के दस्तकार होते हैं। हाथ अधिक कठोर न होने पर यदि भाग्य रेखा निर्दोष होकर शनि की ओर गई हो, शनि की उंगली विशेष लम्बी हो तो ऐसे व्यक्तियों को बाग-बगीचे आदि में विशेष रूचि होती है। ऐसे व्यक्ति पेड़-पौधों को रूचि लेकर पालते हैं और इसी कार्य में अधिक सफल होते हैं। ऐसे व्यक्तियों की भाग्य रेखा मोटी होती है। कठोर हाथ वाले व्यक्ति भावुक होते हैं। फलस्वरूप यौन सम्बन्ध में भी इन्हें अशान्ति रहती है। ऐसे व्यक्तियों को कामवासना की सन्तुष्टि न होने पर मस्तिष्क में तनाव बना रहता है। कठोर हाथ में भाग्य रेखा मोटी होकर यदि बीच में ही समाप्त होती हो तो जिस आयु में यह रेखा समाप्त होती है, उस आयु में इनको नपुंसकता का आभास होता है, परन्तु यदि उसी आयु में मस्तिष्क रेखा में बड़ा द्वीप हो तो थोड़े समय के लिए कमजोरी रहती है। मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे दोष होने पर ऐसे 34 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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