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________________ जितनी ही कम रेखाएं होती हैं उतना ही साहसिक व गलत कार्य करने वाला। पतला हाथ होने पर अंगूठा कम खुलता हो और मस्तिष्क रेखा में दोष हो तो ऐसे व्यक्ति दुश्मनी रखते हुए भी शत्रु का कुछ बिगाड़ नहीं सकते, पीछे से उसकी बुराई करते रहते हैं। पतले हाथ में उंगलियां छोटी व अंगूठा कम खुलता हो तो ऐसे व्यक्ति मुंह-फट नंग व बदतमीज होते हैं। छोटी-सी बात पर ही मरने-मारने को तैयार हो जाते हैं और सम्मान के ग्राहक बन जाते हैं। अधिक रेखाओं वाला हाथ अधिक रेखाओं वाले हाथ का व्यक्ति देर में सफलता प्राप्त करता है, क्योंकि ऐसा व्यक्ति बहुत अधिक सोचता है, फलस्वरूप इसे किसी भी कार्य के निर्णय करने में देर लगती है। वैसे भी ऐसा व्यक्ति सोचते-सोचते किसी समस्या को अधिक बढ़ा लेता है। और इसे जीवन में अशान्ति ही मिलती है। ऐसे व्यक्ति को सनकी तथा बहमी भी कह सकते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुत कल्पनाशील होते हैं। मस्तिष्क रेखा चन्द्रमा की ओर जाने की दशा में कल्पना की हद हो जाती है। ऐसे व्यक्ति के हाथ में रेखाएं जितनी अधिक होती हैं, दूसरी मुख्य रेखाओं का फल उतना ही कम होता है। अतः रेखाओं का परिमाण देखने के पश्चात् यह निश्चित कर लेना चाहिए कि किस प्रकार की रेखाएं फल करने वाली हैं। ऐसे हाथों में केवल बड़ी व मुख्य रेखाओं का ही फल होता है। छोटी-छोटी रेखाएं विशेष महत्व नहीं रखती। अधिक-अधिक रेखाओं के बारे में यह कह देना आवश्यक है कि कई बार तो किन्ही हाथों में इतनी अधिक रेखाएं देखी जाती हैं कि रेखाओं का जाल सा बना होता है, परन्तु इन हाथों की मुख्य रेखाएं मोटी होती हैं। यदि मुख्य रेखाएं भी मोटी नहीं हों तो फल बताने में बड़ी कठिनाई होती है। ऐसी अवस्था में सावधानी की आवश्यकता पड़ती है। अधिक रेखाएं केवल कोमल हाथों में ही पायी जाती हैं। कठोर हाथ में अधिक रेखाएं प्रायः नहीं होती। ये व्यक्ति कोमल, तुनक मिजाज, अधिक महसूस करने वाले, छोटी सी बात को बड़ी बनाने वाले और चिन्ता करने वाले होते हैं। इनके जीवन में परेशानी ही परेशानी रहती है। क्योंकि ऐसे व्यक्ति छोटी-सी आपत्ति को भी पहाड़ समझते हैं और घबराते अधिक हैं। इस अवस्था में शुक्र पर मोटी रेखाएं अधिक होने पर इन व्यक्तियों को अधिक रक्तचाप हो जाता है। ऐसे हाथों में स्वास्थ्य की समस्याएं अधिक आती हैं। अत: अन्य लक्षणों के साथ समन्वय करने के बाद फल कहना चाहिए। हाथ भारी होने पर फलों में कमी और पतला होने पर उपरोक्त फलों में अधिकता देखी जाती है। 31 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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