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ऐसे व्यक्ति निकृष्ट मनोवृत्ति के होते हैं। ऐसे व्यक्ति जीवन में दु:खी रहते हैं। बहुत सुन्दर भाग्य रेखा ऐसे व्यक्तियों को हानि करती है। झंझट पैदा करना, एक-दूसरे को लड़ाना, बिना मतलब झगड़ेबाजी करना, दूसरों के समझौते कराने में अपना समय नष्ट करना व बेकार विवाद करना इनका मुख्य कार्य होता है। नशीली वस्तुओं का सेवन, अप्राकृतिक रति आदि ऐसे व्यक्तियों की आदत होती है।
पतला हाथ होने पर उंगलियां छोटी, मस्तिष्क रेखा मोटी तथा छोटी या लम्बी, मंगल से निकली हुई, हृदय व मस्तिष्क रेखा समानान्तर, अंगूठा मोटा, छोटा या कम खुलने वाला होने पर ऐसे व्यक्ति बेहद साहसी तथा अत्यन्त क्रोधी होते हैं। कत्ल करने वाले या पीछे से वार करने वाले व्यक्तियों के हाथ में ऐसे ही लक्षण पाये जाते हैं। ऐसे व्यक्ति क्रोध में आकर अनैतिक कार्य कर डालते हैं। ऐसे व्यक्तियों को किसी गिरोह के अन्दर रहकर ही गुजारा करना पड़ता है। पतले हाथ वाले व्यक्ति हमेशा ही नौकरी करते देखे जाते हैं या फिर निकृष्ट कोटि के कार्य। इन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ता है और उसके पश्चात् भी सफलता नहीं मिलती। जीवन में यश, आराम व शान्ति नहीं मिलती। अपनी गलतियों से दुःखी रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों का रोजगार भी नहीं चलता, मजदूरी या छोटे कार्य जैसे बर्तन मांजना या कपड़े धोना आदि करते हैं। हाथ मोटा होने पर उंगलियां मोटी, छोटी व रेखाएं कम तथा हाथ पतला होने पर अधिक रेखाएं, उंगलियां तिरछी हो तो निकृष्ट कोटि का हाथ कहलाता है। ऐसे हाथ निम्न स्तर के व्यक्तियों के होते हैं, जिनमें बुद्धि की कमी देखी जाती है।
पतले हाथ वाले व्यक्ति बुद्धिमत्ता के लक्षण होने पर बुद्धिमान तो होते हैं, परन्तु इनकी बुद्धि विपरीत दिशा में कार्य करती है। पतले हाथ में दोहरी मस्तिष्क रेखा होने पर जड़ मूर्ख होते हैं, क्योंकि एक से अधिक मस्तिष्क रेखा उत्तम हाथ में ही उत्तम फल देती है। अन्यथा पात्रता न होने के कारण व्यक्ति में मस्तिष्क विकार पैदा हो जाता है। उत्तम रेखा इंन हाथों में रोटी का सहारा बनाने के अतिरिक्त कोई और फल नहीं करती।
उंगलियां भारी या छोटी और टेढ़ी हों तो चोर व चुगलखोर होते हैं, इनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता। परिवार से दूर रहना पड़ता है। जीवन में सभी तरह के काम करते हैं, जैसे घर से भाग कर चले जाना, स्त्रियों से अनैतिक कार्य कराना, झूठा खाना, स्त्री व पुरुष में मध्यस्थता कराना आदि।
ऐसे व्यक्ति की मां, बहन आदि भी दुराचारिणी होती हैं। इनकी सन्तान कमजोर तथा रोगी होती है। सन्तान में भी स्वयं के गुण पाये जाते हैं, अर्थात् ऐसे व्यक्तियों को सन्तान से सुख नहीं मिलता।
पतले हाथ में जितनी ही अधिक रेखाएं होती हैं, उतना ही दरिद्री होती है और
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