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________________ =क्रियात्मक हाथ = बहुत से हाथों में बहुत कम रेखाएं होती हैं। यहां तक देखा गया है कि केवल तीन या चार मुख्य रेखाओं को छोड़कर अन्य रेखाएं दिखाई नहीं देतीं। ऐसे हाथों को क्रियात्मक हाथ की संज्ञा दी जाती है। ऐसे हाथों पर निर्णय लेना बहुत कठिन हो जाता है। इस दशा में बहुत छोटी रेखा भी बहुत अधिक महत्व रखती है। ऐसे हाथों में रेखाओं का झुकाव, दिशा, मोटापन, पतलापन आदि लक्षणों को देखकर निर्णय किया जाता है। ऐसे छोटे-छोटे लक्षण विशेष महत्व रखते हैं जो कि अधिक रेखाओं वाले हाथों में विशेषता नहीं रखते। 60 प्रतिशत व्यक्तियों के हाथ इसी प्रकार की रेखाओं वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति जल्दबाज होते हैं और निर्णय करने में देरी नहीं करते। ऐसे व्यक्ति का हाथ कठोर होने पर उसे क्रोध अधिक आता है। इनकी मांग मुंह से निकलते ही पूरी न होने पर बिगड़ पड़ते हैं और घर का वातावरण खराब कर देते हैं। ऐसे व्यक्ति किसी की भी परवाह नहीं करते। यहां तक कि मां-बाप से भी इनकी नहीं बनती। ऐसे व्यक्ति बेईमान नहीं होते, परन्तु बुध की उंगली तिरछी या छोटी होने पर जैसा समय देखते हैं, वैसा ही काम करना पसन्द करते हैं। ऐसे व्यक्ति का यदि अंगूठा कम खुलता हो तो स्वभाव के चिड़चिड़े होते हैं, परन्तु अंगूठा अधिक खुलने पर ये सहनशील होते हैं। बुरा तो अवश्य लगता है, परन्तु सहन कर लेते हैं। स्त्री होने पर यदि हाथ में रेखाएं कम हों तो विवाह के बाद मानसिक शान्ति में बाधा होती है। मस्तिष्क रेखा पतली होने पर ऐसे व्यक्ति प्रबन्धन व देखभाल का काम करने वाले होते हैं। अतः अधिक सन्तान उत्पन्न नहीं करते। कठोर हाथ में कम रेखाएं जीवन भर संघर्ष बने रहने का लक्षण है। ऐसे व्यक्ति सीधे, मेहनती तथा ईमानदार होते हैं। बड़ी आयु में इनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। नरम हाथ क्रियात्मक होने पर निपुण, जल्दबाज, चालाक, अवसर देख कर कार्य करने वाले सफल होते हैं। ये भी निर्णय शीध्र लेते हैं। जीवन में ऐसे व्यक्ति क्रान्ति करते हैं। मस्तिष्क रेखा पतली व एक या दोनों ओर शाखान्वित हो, अंगूठा पतला व लम्बा हो तथा अंगूठे का नाखून वाला भाग सांप के मुख की आकृति का अर्थात् आगे से नुकीला हो तो व्यक्ति बुद्धिमान, व्यवहारिक, अल्पायु में ही सब सुखों से सम्पन्न हो जाता है। = नरम कोमल हाथ - ऐसे हाथ छूने में चिकने व दबाने में कोमल होते हैं। गुदगुदे होने पर ऐसे हाथ H.K.S-2 32 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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