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________________ छोटा हाथ = जसा कि नाम से ही प्रकट है कि छोटा हाथ, अन्य हाथों की अपेक्षा छोटे आकार का होता है, परन्तु सुन्दर और गुदगुदा होता है। ये हाथ दो प्रकार के होते हैं, एक तो छोटे और भारी तथा दूसरे छोटे और पतले। ऐसे हाथ को हम प्रशासक हाथ भी कहते हैं। इन हाथों में अंगूठा पूरा खुलता है व लम्बा होता है। ये सच है कि छोटे हाथ वास्तव में समझदार तथा बुद्धिजीवी व्यक्तियों के होते हैं। हाथ छोटा होकर पतला होने पर व्यक्ति में दोष का लक्षण माना जाता है। उत्तम छोटे हाथ में उंगलियां छोटी, हाथ भारी व गुलाबी, ग्रह उठे हुए तथा भाग्य रेखाएं अनेक होती हैं। ऐसे व्यक्ति बुद्धिमान होते हैं। अवसर को समझ कर काम में लेते हैं। जिस व्यक्ति के साथ जैसा व्यवहार करना होता है, वैसा ही करते हैं। __ ऐसे व्यक्ति मर्मज्ञ होते हैं। बुध की उंगली टेढ़ी होने या उसका नाखून छोटा होने पर इन गुणों में वृद्धि हो जाती हैं। हाथ देखते समय अंगूठे व उंगलियों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। हाथ काला होने पर गुण, दोषों में परिवर्तित हो जाते हैं। बृहस्पति या शनि की उंगली लम्बी होने पर या मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से अलग होने पर ये स्वतन्त्र विचारक होते हैं और अपने ही बल पर चलकर सफलता प्राप्त करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि छोटे हाथ वाले व्यक्ति जीवन में बहुत शीघ्र सफलता प्राप्त करते हैं। ऐसे व्यक्ति नकद में विश्वास करते हैं। अतः ऐसे कार्यों में ही पैसा खर्च करते हैं, जिनसे शीघ्र लाभ होता हो। ऐसे व्यक्ति अपने उद्देश्य हमेशा ही सामने रखते हैं और जो कुछ भी कार्य करते हैं, उसी दृष्टिकोण से करते हैं। असफलता मिलने पर या सफलता में विलम्ब होने पर घबराते नहीं, फिर से आरम्भ करके सफलता प्राप्त करने में विश्वास करते ___ शनि और बृहस्पति की उंगलियां बड़ी हों, हाथ भारी या बड़ा हो, लम्बा हो, छोटा हो तथा मस्तिष्क रेखा में दोनों ओर शाखा हो तो व्यक्ति महान लेखक, प्रधान सम्पादक, विशेष साहित्य की रचना करने वाला तथा अन्वेषक होता है। = भारी व चौड़ा हाथ == - शरीर के आकार के अनुमात में भारी (आकार में बड़ा) गुदगुदा, लम्बा व चौड़ा हाथ होने पर हम इसे भारी हाथ कहते हैं। देखते ही ऐसे हाथों का पता लग जाता है। हाथ में अन्य गुण जैसे उंगलियां पतली, हाथ नरम, भाग्य रेखा एक से अधिक 27 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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