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________________ आदि होने पर ऐसे व्यक्ति धनी, सफल तथा प्रसिद्ध होते हैं। या तो आरम्भ से ही ऐसे व्यक्तियों को धन, सम्पत्ति का सुख होता है अन्यथा शीघ्र ही स्वयं इसका निर्माण कर लेते हैं। अच्छी भाग्य रेखाएं भारी हाथ में ही समरूप फल करती हैं। पतले हाथ में अच्छी रेखाओं का फल उलटा होता है, जैसे भारी हाथ में बहुत सुन्दर भाग्य रेखाएं व्यक्ति को विशेष धनी बनाती हैं, परन्तु पतले हाथ में उत्तम रेखाएं कम फल कारक होती हैं। ऐसे व्यक्ति धनी होते हैं। जीवन रेखा घुमावदार, मस्तिष्क रेखा अच्छी होने पर बहुत ही उत्तम फल होता है, सारा जीवन आराम से बीतता है। हाथ कठोर होने पर धनी तो रहते हैं, परन्तु जीवन में कोई न कोई समस्या खड़ी ही रहती है, अत: मानसिक शान्ति देर से मिलती है। हृदय रेखा बृहस्पति की उंगली के पास होने, भाग्य रेखा एक से अधिक होने पर ऐसे व्यक्ति दान देते हैं, जैसे शिक्षा दिलाना, धर्मशाला बनवाना, मंदिर-मस्जिद आदि का निर्माण करना। भारी हाथ होने पर कठोर हो या अंगूठा कम खुले तो व्यक्ति क्रोधी होता है, परन्तु हाथ कोमल होने पर क्रोध पर नियन्त्रण पाता है। ऐसे व्यक्ति जान-बूझकर आवश्यकतानुसार क्रोध करते हैं। इस प्रकार के हाथों में मस्तिष्क रेखा व हृदय रेखा समानान्तर होना, मस्तिष्क रेखा का निकास मंगल से होना, बुध की उंगली छोटी या अधिक तिरछी होना व्यक्ति में पाशविकता का लक्षण है। कत्ल, चोरी, बलात्कार आदि ऐसे ही व्यक्ति करते हैं। परन्तु ऐसे व्यक्ति अधिक बार इस प्रकार के कार्य नहीं कर पाते, क्योंकि बौद्धिक विकास कम होने के कारण पकड़े जाते हैं। भारी हाथ रेखाओं के दोषों में कमी करता है और जीवन रेखा के दोषों को हाथ का भारीपन किसी हद तक कम कर देता है। भारी हाथ वाला व्यक्ति यदि रेखाओं में विशेष दोष नहीं हो तो व्यापार ही करता है। परन्तु अंगूठा कम खुलने की दशा में ऐसे व्यक्ति पहले नौकरी और बाद में व्यापार करते हैं। जीवन रेखा में सीधापन या मस्तिष्क रेखा में टेढ़ापन या द्वीप आदि दोष होने पर मध्यायु के पश्चात् उन्नति करते हैं। ऐसे व्यक्तियों का परिवार बड़ा होता है और सभी की आर्थिक स्थिति भी अच्छी होती है, फलस्वरूप परिवार में प्रत्येक व्यक्ति उन्नति की ओर अग्रसर होता है। ऐसे व्यक्ति दूसरों के बीच में तब तक नहीं बोलते जब तक कि बात इन पर नहीं आ पड़ती। स्वयं भी दूसरों के द्वारा अपने कार्य में हस्तक्षेप पसन्द नहीं करते। ऐसे व्यक्ति हानि किसी को भी नहीं पहुंचाते, क्योंकि इनमें मानवता अधिक होती है। इनका स्वभाव शासन करने का होता है। अपने से छोटों पर तो अंकुश चलता ही है, कभी-कभी बड़ों पर भी इस स्नेहास्त्र का प्रयोग कर देते हैं। ऐसे व्यक्ति निरन्तर सफल होते देखे 28 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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