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________________ में सूर्य और शनि ग्रह ही प्रधान होते हैं। M ऐसे व्यक्तियों को कला में रूचि होती है और ये आलोचना करने में. निपुण होते हैं। ऐसे व्यक्तियों की आलोचना भी सत्य व ठोस होती है। हाथ बड़ा होने पर तथा विशेष भाग्य रेखा होने पर इन्हें कलात्मक कार्य में विशेष रूचि होती है और प्रसिद्धि मिलती है। ऐसे व्यक्ति चित्रकार, नर्तक, गायक या उत्तम कोटि के वादक होते हैं। सरल साहित्य लिखने वालों के हाथों में भी ऐसे लक्षण पाये जाते हैं। ये भावुक और अत्यन्त कल्पनाशील होते हैं, परन्तु इनकी कल्पना कोरी कल्पना नहीं होती, साहित्यकारों में इसका आदर होता है। हाथ जितना उत्तम कोटि का होगा, व्यक्ति उतनी अधिक प्रसिद्धि प्राप्त करेगा। ऐसे व्यक्ति के रहन-सहन, खान-पान से लेकर रतिक्रिया तक सभी कार्य कलात्मक होते हैं। घर की सजावट आदि में ऐसे व्यक्ति किसी सीमा तक रूचि रखते हैं, परन्तु प्रायः घर की ओर से लापरवाह देखे जाते हैं। पत्नी व सन्तान पर ऐसे व्यक्ति उपेक्षावृत्ति रखते हैं, जिसका कारण समयाभाव होता है। शुक्र उन्नत होने पर ऐसे व्यक्तियों में स्त्रियों के सम्र्पक में आने पर चरित्र दोष आ जाता है तथा कई बार तो अनेकों से इनके अनैतिक सम्बन्ध पाये जाते हैं। स्त्रियों का हाथ इस प्रकार का होने पर ऐसी स्त्रियां भावुक व दूसरों के प्रभाव में आने वाली होती हैं। बृहस्पति या चन्द्र उन्नत होने पर ऐसे व्यक्ति समय के विचार से सरल व शुद्ध होते हैं तथा दूसरे व्यक्तियों को भी ऐसा ही समझते हैं। अतः सांसारिक दृष्टि से निरीह कहे जा सकते हैं। सूर्य विशेष उन्नत होने पर इन्हें ख्याति मिलती है। वास्तव में ऐसे व्यक्ति प्रसिद्धि के योग्य ही होते हैं। किसी के सम्पर्क में आते ही इनके कला सम्बन्धी गुण प्रकट हो जाते हैं। अपनी कला की प्रशंसा सुनकर इनकी भूख भाग जाती है। ऐसे व्यक्ति कला के लिए जीते हैं और अन्त तक सफल रहते हैं। सफलता व प्रसिद्धि का परिणाम हाथ के अन्य लक्षणों पर निर्भर करता है। (चित्र -4) 23 Jain Education International ((N) For Private & Personal Use Only तण ता www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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