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________________ कोई भाग्य रेखा आगे जाती हो तो 35 वर्ष के बाद ही प्रगति करते हैं। - भाग्य रेखा को काटने वाली रेखाएं। सभी हाथों में भाग्य रेखा, मस्तिष्क व हृदय रेखा द्वारा काटी जाती है, परन्तु फल पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन अन्य खासतौर पर मंगल या जीवन रेखा से आने वाली रेखाओं द्वारा भाग्य रेखा कटती हो तो अनिष्ट कारक लक्षण है (चित्र-127)। __ मंगल से आरम्भ होकर कोई रेखा भाग्य रेखा को काटती हुई हृदय रेखा के पास पहुंचती हो तो उस आयु में किसी की मृत्यु या धन हानि करती है। यदि यही रेखा भाग्य रेखा को काटती हुई मस्तिष्क रेखा पर रुकती हो तो अधिक दोषपूर्ण होती है। इस आयु में स्थान । परिवर्तन, किसी की मृत्यु, झगड़ा या बीमारी आदि कोई. फल देखा जाता है। कुछ मोटी होने पर इसी रेखा को राहू रेखा कहते हैं। मस्तिष्क रेखा से निकलकर जब भाग्य रेखा हृदय रेखा की ओर बढ़ती है तो उस समय यदि हृदय रेखा की कोई शाखा भाग्य रेखा को काटती हो तो कार्य । में हानि या अनहोनी घटना होती है। यह शाखा जितनी अधिक मोटी होती है, उतना ही अधिक दोषपूर्ण फल देती है। इस आयु में चोट लगने या किसी दुर्घटना की। चित्र-127 सूचना देती है। काम छूटना, घर से दूर ट्रान्सफर तथा धन की चिन्ता इस आयु में देखी जाती हैं। बहुत-सी रेखाएं भाग्य रेखा को काटती हों तो भी व्यक्ति एक स्थान पर स्थायी रूप से नहीं रहता, इधर-उधर आता जाता रहता है। एक बात विशेष रूप से देखने की है कि यदि हाथ में रेखाएं अधिक हों तो पतली रेखाओं का प्रभाव नहीं के बराबर होता है। इस दशा में केवल मोटी रेखा द्वारा काटे जाने पर ही उपरोक्त प्रकार के फल कहने चाहिएं। हाथ में अधिक रेखाएं होने पर इसके समर्थन में दूसरे लक्षण भी मिला लेने चाहिए। कम रेखाएं होने पर यह रेखा महत्वपूर्ण फल प्रदान करती है। - अधूरी भाग्य रेखा %3 हाथ देखते समय एक बात विशेष रूप से विचारणीय है कि जब दो या तीन 195 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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