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________________ का हो कि वह हृदय रेखा से मिलकर एक द्वीप का आकार बनाये तो ऐसे व्यक्ति का अपने परिवार के लोगों से विरोध रहता है तथा यह सैद्धान्तिक मतभेद जीवन भर रहता है और राजनीति में भाग लेने पर इनके अपने दल के साथ मतभेद रहते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रसिद्धि तो प्राप्त कर जाते हैं, परन्तु उतनी सफलता नहीं मिलती. जितनी कि इन्हें मिलनी चाहिए। अन्त में गले की बीमारी से इनकी मृत्यु होती है। = मस्तिष्क रेखा पर रुकी भाग्य रेखा - % 3D किन्हीं हाथों में भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा पर रुकी देखी जाती है। यह अच्छा लक्षण नहीं माना जाता। गोलाकार जीवन रेखा या अन्य भाग्य रेखा इसके दोष को कम कर देती हैं। मोटी भाग्य रेखा का मस्तिष्क रेखा पर रुकना बहुत घातक होता है। इसके साथ यदि उसी आयु में अर्थात् 35 वर्ष या जिसमें यह मस्तिष्क रेखा को छूती है, अन्य रेखाओं में भी दोष हो तो जीवन में अनेक उलट-फेर व अवांछित घटनाएं होती हैं। भाग्य रेखा पतली होकर मस्तिष्क रेखा पर रुकने की दशा में इतनी हानि नहीं करती, जितनी कि मोटी होकर करती है (चित्र-126)। इस अवसर पर अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जिसका निर्णय हाथ में उपस्थित , अन्य लक्षणों द्वारा कर लेना चाहिए। भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा में रुकने पर व्यक्ति बौद्धिक गलतियां करने वाला होता है। ऐसी गलतियां जीवन में कई बार होती हैं। एक समय जीवन में ऐसा भी आता है कि जब इन गलतियों की हद हो जाती है। फलस्वरूप नौकरी छूटना, जेल, झगड़ा, सम्मान को आंच, आत्महत्या, बीमारी आदि घटनाएं घटती हैं। ये लापरवाह होते हैं और अपने काम को सतर्कता से नहीं चित्र-126 करते। यही बातें इनके अन्य व्यवहार में पाई जाती हैं। देख कर खर्च न करना, किसी बात को अधिक महसूस करना, व्यर्थ के झगड़े में पड़ना या स्पष्ट रूप से किसी का विरोध हो जाता है। ये सहृदय, प्रेमी व ईमानदार तो होते हैं, परन्तु अपने व्यवहार या अन्य कारणों से इन्हें उचित श्रेय नहीं मिलता। जब भाग्य रेखा मोटी होकर मस्तिष्क रेखा पर रुकती हो और जीवन रेखा सीधी हो तो 35 वर्ष की आयु तक थोड़ी बहुत उन्नति करने के बाद इनकी उन्नति के मार्ग अवरूद्ध हो जाते हैं, परन्तु यदि जीवन रेखा गोलाकार हो और मस्तिष्क रेखा से निकलकर 194 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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