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________________ चलते हैं। ऐसे व्यक्ति मौसमी कार्य जैसे गन्ने का क्रेशर, भट्टा, अनाज का थ्रेशर, चूने की भट्टी, बर्फ के कारखाने आदि के कार्य करते हैं। == मस्तिष्क रेखा को काटने वाली रेखाएं एसी दो प्रकार की रेखाएं हाथों में देखने में आती हैं। एक तो लम्बी रेखाएं जो जीवन रेखा या उसकी ओर से आकर मस्तिष्क रेखा को काट कर आगे निकल जाती हैं या मस्तिष्क रेखा पर रुक जाती हैं। इन्हें हम राहु रेखा भी कहते हैं। दूसरे प्रकार की रेखाएं छोटी होती है जो केवल मस्तिष्क रेखा को ही स्थान-स्थान पर काटती हैं (चित्र-95)। जीवन रेखा से निकलने वाली रेखाएं मस्तिष्क रेखा पर मिलकर त्रिकोण बनाती हैं, यह बहुत ही खराब होती हैं। यदि ये मोटी हो तो उस आयु में झगड़े, बीमारी, मृत्यु, स्थान परिवर्तन की स्थिति उत्पन्न करती हैं। मस्तिष्क रेखा को यदि स्थान-स्थान पर छोटी-छोटी रेखाएं काटती हों तो ऐसे व्यक्ति के सिर में दर्द रहता है तथा इन्हें ऐसा अनुभव होता है कि स्मृति कमजोर हो गई है या होती जा रही है। वास्तव में होता भी ऐसा ही है, परन्तु अधिक महसूस करने के कारण भी ऐसा लगता है, परन्तु व्यक्ति जितना इस विषय में सोचता है, स्मृति उतनी कमजोर नहीं चित्र-95 होती। मस्तिष्क रेखा पर तिल मस्तिष्क रेखा पर तिल या काला या लाल धब्बा हो तो ऐसे व्यक्ति की पत्नी के मस्तिष्क में दोष होता है। वह पागल जैसी होती है। जिस आयु में मस्तिष्क रेखा में तिल होता है, उस आयु में कष्ट का कारण होता है। शनि के नीचे मस्तिष्क रेखा में तिल होने पर पत्नी की मृत्यु, बहस्पति के नीचे होने पर स्वयं को या बच्चे को रोग तथा सूर्य के नीचे तिल होने पर बड़ी उम्र में आंख में काला मोतिया होता है। मस्तिष्क रेखा में बुध के नीचे तिल होने पर बुढ़ापे में लकवा या जहर का डर रहता है। जहर का अर्थ भोजन खाने के पश्चात् जहर 169 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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