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________________ == जंजीराकार मस्तिष्क रेखा। इस प्रकार की मस्तिष्क रेखा द्वीप से मिलकर बनी हुई दिखाई देती है। यहां भी दोषपूर्ण मस्तिष्क रेखा के सभी लक्षण लागू होते हैं। ऐसे व्यक्ति स्वभाव से चिड़चिड़े, कठोर व अपने ही मिजाज के होते हैं। इनका अपने मस्तिष्क पर नियन्त्रण नहीं होता। काम जिम्मेदारी से करने पर भी स्वभाव के कारण श्रेय नहीं मिलता, क्योंकि ये कार्य करके बखान करते हैं। ऐसे व्यक्ति ठोकर लगने पर भी नहीं सम्भलते। होशियार होते हैं साथ ही जिद्दी भी और रूखा व स्पष्ट बोलने की आदत होती है, फलस्वरूप देर से सफल होते हैं तथा इनके सम्बन्ध भी स्थाई नहीं होते और चिड़चिड़ेपन के कारण प्रत्येक कार्य में रुकावट आती है। जंजीराकार मस्तिष्क रेखा होने पर यदि जीवन रेखा टूटी हुई हो, बुध की उंगली तिरछी एवं भाग्य रेखा मोटी हो तो ऐसे व्यक्ति धोखेबाज होते हैं। दूसरों को फंसाकर अपना काम निकालते हैं और लेकर देना नहीं जानते। ऐसे व्यक्तियों से अधिक आत्मीयता व व्यवहार हमेशा हानिकारक होते हैं। यह वायदे के बिल्कुल पक्के नहीं होते, आजकल करते रहते हैं, न ही साफ जवाब देते हैं, न ही मना करते हैं और न उस काम को करते ही हैं। इनको अधिक गम या खुशी होने पर स्नायु दोष हो जाता है। मस्तिष्क पर बोझ पड़ने, अधिक पूजा करने व ठेस लगने आदि से मस्तिष्क में विकार उत्पन्न हो जाते हैं। मस्तिष्क रेखा जंजीर की तरह व बुध या सूर्य के नीचे अन्य रेखाओं में भी दोष हो या लाल हो तो सिर में दर्द व आंखों में खराबी होती है। यह दोष वास्तव में वंशानुगत होता है, परिवार में कई व्यक्तियों को ऐसा रोग देखा जाता है। स्त्रियों में ऐसा रोग, अधिक सन्तान या गर्भपात होने से होता है। - = = टेड़ी-मेड़ी मस्तिष्क रेखा । टेडी-मेड़ी मस्तिष्क रेखा, टेड़ी-मेड़ी ही होती है। दोषपूर्ण मस्तिष्क रेखा के सारे फल यहां भी लागू होते हैं (चित्र-94)। विशेषतया किसी भी आदत के पक्के होने पर, ऐसे व्यक्ति वह आदत छोड़ने में कठिनाई महसूस करते हैं। इनका कोई भी कार्य लम्बे समय तक ठीक नहीं चल पाता। ऐसा देखा गया है कि इनके काम छ: महीने ठीक और छः महीने खराब 168 चित्र-94 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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