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________________ तो नहीं है ? इसका अन्य रेखाओं या अन्य लक्षणों के साथ समन्वय करने के पश्चात् फल कहने से बहुत ही अच्छे परिणाम हाथ लगते हैं। उदाहरण के लिए शनि के नीचे दोष के साथ मंगल पर अधिक रेखाएं हाने पर सेट खराब होता है, शनि पर अधिक रेखाएं हाने से वायु विकार, गठिया, किसी भी रेखा में सूर्य के नीचे दोष होने पर आंखों में कमजोरी, हृदय रेखा में शनि के नीचे कोई दोष होने से हर्निया, पौरूष ग्रन्थि, गर्भाशय, या अण्डकोष में बीमारी, चन्द्रमा या शुक्र अधिक उठा होने पर वीर्य सम्बंधी रोग या स्नायु विकार होता है। - == मस्तिष्क रेखा के आरम्भ या बृहस्पति के नीचे द्वीप=== इस द्वीप का निर्णय करना कठिन होता है क्योंकि किन्हीं अन्य रेखाओं में उलझे होने, जोड़ अधिक होने या अन्य कारणों से यह अन्य रेखाओं से मिल जाता है। अतः ध्यान पूर्वक देखकर ही इसका निर्णय लेना चाहिए। ऐसे व्यक्ति आपत्ति के समय शीघ्र घबरा जाते हैं तथा पढ़ने में कमजोर एवं मिजाज के चिड़चिड़े होते हैं। यह द्वीप बड़ा होने पर मस्तिष्क रेखा में यदि कोई दूसरा भी दोष हो तो एकदम भोंदू होते हैं। इस अवस्था । में, यदि भाग्य रेखा स्वतन्त्र रूप से निकली हो तथा मोटी हो तो ऐसे व्यक्ति व्यवहार के अच्छे नहीं होते। ये किसी की नहीं सुनते और मनमानी करते हैं व माता-पिता के साथ सहयोग नहीं करते। मित्रों में रहना, अधिक खर्च करना, जिम्मेदारी महसूस न करना, घर में सद्-व्यवहार न करना आदि दोष ऐसे व्यक्तियों में 12 पाये जाते हैं। कई बार तो ये दोष बहुत अधिक बढ़ जाते हैं। चित्र-93 मस्तिष्क रेखा के आरम्भ में द्वीप और उससे कोई रेखा निकल कर बृहस्पति या जीवन रेखा की ओर जाती हो तो यह लक्षण शिक्षा में थोड़ी बहुत रुकावट करता है। इस प्रकार के द्वीप से गले, कान या कान के ऊपर, मस्तिष्क का ऑपरेशन अवश्य होता है। कभी-कभी इस द्वीप से डिम्बाश्य या अण्डकोष में या तो रोग होता है या ये अंग अविकसित होते हैं। 167 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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