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________________ बनने से भी है। इसमें जहरीला इन्जैक्शन लगना, जहरीले जानवर द्वारा काटना भी सम्मिलित है। यह बहुत सावधानी के साथ निर्णय करना चाहिए कि तिल वास्तव में रेखा पर ही हो। आसपास होने पर इस प्रकार का फल नहीं होता या हल्का-सा प्रभाव होकर रह जाता है। बाएं हाथ में होने पर इस लक्षण का प्रभाव पत्नी या परिवार के व्यक्तियों पर घटित होता है, परन्तु दाएं हाथ में होने पर स्वयं तथा सन्तान पर देखा जाता है। दोनों हाथों में होने पर यह विशेषतया स्वयं के ऊपर ही लागू होता है और वंशानुगत दोष माना जाता है। भाग्य रेखा किसी भी रेखा को, जो शनि की ओर जाती है, भाग्य रेखा कह सकते हैं। हाथ में भाग्य रेखा चन्द्रमा, जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा या हृदय रेखा से निकल कर सीधी शनि की उंगली की ओर जाती है। कभी-कभी भाग्य रेखा किसी मंगल या शनि क्षेत्र से निकल कर शनि पर जाती है। (चित्र-96)। भाग्य रेखा मणिबन्ध से निकल कर बिना रुके और बिना टूटे शनि की उंगली तक पहुंचती हो तो बहुत ही उत्तम मानी जाती है परन्तु ध्यान रहे कि कोई भी छोटी भाग्य रेखा, जीवन रेखा के आरम्भ के एक इंच बाद निकल कर शनि की ओर जानी आवश्यक है, अन्यथा उत्तम से उत्तम भाग्य रेखा भी उत्तम फल देने में असमर्थ होती है, परन्तु दमदार जीवन रेखा में इस भाग्य रेखा की जरूरत नहीं होती और एक से अधिक भाग्य रेखाएं होने पर भी जीवन रेखा से भाग्य रेखा निकलना आवश्यक नहीं। हाथ में जितनी ही अधिक भाग्य रेखाएं होती हैं या एक ही उत्तम भाग्य रेखा होती है, मनुष्य उतना ही भाग्यशाली, सम्पत्ति वाला व सफल होता है। हाथ चौड़ा, भारी, गुदगुदा, नरम और चिकना होना भाग्य रेखा के फल में उत्तमता उत्पन्न करता है। 1. उत्तम भाग्य रेखा 2. शाखान्वित भाग्य रेखा 3. भाग्य रेखा का निकास जीवन रेखा से 4. भाग्य रेखा का निकास जीवन रेखा से अलग 5. भाग्य रेखा का निकास चन्द्रमा से 6. भाग्य रेखा का निकास मंगल से 7. भाग्य रेखा का निकास भाग्य रेखा से 8. भाग्य रेखा का निकास मस्तिष्क रेखा से चित्र-96 170 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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