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________________ ये धार्मिक और ईश्वर से डरने वाले और रूढ़िवादी होते हैं; घबराते शीघ्र है व गरम स्वभाव के होते हैं। ये स्वतः मज़ाक करते हैं, परन्तु दूसरों के मज़ाक पर चिढ़ जाते हैं। मस्तिष्क रेखा यदि निर्दोष हो तो इस फल में कमी करती है। इनका स्वभाव अधिक एहसास करने वाला होता है। छोटी-छोटी बात का बतंगड़ बना देना इनके लिए बहुत आसान होता है । जीवन में अधिक परिवर्तन, अधूरी जीवन रेखा के समय पूरी होने के पश्चात् ही देखने में आता है। अच्छी भाग्य रेखा, भारी हाथ तथा अच्छी मस्तिष्क रेखा होने पर इस दोष में कमी आ जाती है अर्थात् व्यक्ति का जीवन यापन सरलता एवं सुगमता से चलता है, तो भी कोई न कोई मुसीबत जीवन में खड़ी रहती है । जीवन रेखा आरम्भ में पतली होकर निकले और बीच में समाप्त हो गयी हो व उसी स्थान से दूसरी जीवन रेखा आरम्भ हुई हो या अधूरी जीवन रेखा पतली होकर टूट गई हो तो सन्तान, धन और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। मस्तिष्क रेखा सुन्दर हो तो सन्तान तो होती है, लेकिन उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। ऐसे व्यक्तियों को नौकरी अवश्य करनी पड़ती है। इनका सीमित परिवार होता है और इनका कोई भी कार्य बिना रूकावट व बगैर परेशानी के नहीं हो पाता है। इन्हें जो आदत पड़ जाती है, वह छोड़ना भी चाहें तो भी नहीं छूटती है। इस दशा में यदि मंगल उठा हो तो मूंगा पहनना चाहिए। चित्र - 39 जीवन रेखा एक हाथ में पूरी तथा एक हाथ में अधूरी हो तो सफलता के साथ उलझनें अवश्य रहती हैं। यदि काम करने वाले हाथ में पूरी तथा दूसरे हाथ में अधूरी हो तो पिता के अनुपात में व्यक्ति अधिक सफल तथा योग्य होता है। ऐसी दशा में अपने परिवार में जवान की मौत होती है व सम्पत्ति में अड़चन आ जाती हैं। यदि ये कोई भवन बनाते हैं तो वह अधूरा ही रहता है। जहां ऐसे व्यक्ति रहते हैं, वहां झगड़ा या किसी पड़ोसी से दुश्मनी चलती रहती है। अधूरी जीवन रेखा हाथ में होना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। नरम हाथ में यदि अधूरी जीवन रेखा हो तो क्षय रोग, प्लूरिसी आदि का भय बना रहता है। ऐसे व्यक्ति नाजुक मिजाज होते हैं, अधिक मेहनत नहीं कर सकते। यदि मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे दोष हो तो शिशुपन में खुराक ठीक न मिलने की वजह से स्वास्थ्य खराब रहता है। हाथ कठोर होने पर इन लक्षणों से व्यक्ति को आंतों के रोग, पेचिश, जिगर खराब होना, गुर्दा खराब होना इत्यादि रोग पाये जाते हैं। ऐसे व्यक्ति खराब स्वास्थ्य 117 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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