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________________ हैं तो सारा परिवार उन्नति करता है तथा आपदाग्रस्त होते हैं तो सारे परिवार को आपत्ति का मुंह देखना पड़ता है। कभी-कभी तो सम्बन्धियों तथा मित्रों पर भी इसका प्रभाव देखा जाता है। गोलाकार जीवन रेखा में त्रिकोण हो और साथ ही साथ हाथ में गोद सम्पत्ति आने का लक्षण हो तो पितृपक्ष से सम्पत्ति मिलती है। यदि यह त्रिकोण मस्तिष्क रेखा में हो तो मातृपक्ष से सम्पत्ति प्राप्त होने का योग होता है। मस्तिष्क रेखा सुन्दर, भाग्य रेखा ठीक, उंगलियां छोटी व पतली, हाथ चमसाकार या समकोण होने पर ऐसे जातक शीघ्र ही सम्पत्ति बना भी लेते हैं। गोलाकार जीवन रेखा व भाग्य रेखा इससे दूर हो तो उसी समय तक शान्ति रहती है जब तक परिवार बढ़ता नहीं, परिवार बढ़ने पर खर्च भी बढ़ता है, परन्तु अतिरिक्त परिश्रम करके ये व्यय की पूर्ति कर लेते हैं। दोषयुक्त जीवन रेखा टूटी-फूटी, द्वीपयुक्त, सीधी, अधूरी, कहीं मोटी, कहीं पतली, कहीं लाल व कहीं काली जीवन रेखा को दोषयुक्त जीवन रेखा की संज्ञा दी जाती है । जीवन रेखा में जितना अधिक दोष होता है, स्वास्थ्य, धन, परिवार आदि को लेकर अशान्ति अधिक रहती है। जब तक जीवन रेखा में दोष रहता है, व्यक्ति को किसी न किसी प्रकार की कमी रहती ही है। दोषयुक्त जीवन रेखा से परिवार बड़ा होकर छोटा होता है। ऐसे व्यक्ति को किसी से भी लाभ अथवा सहयोग प्राप्त नहीं होता । आपसी कलह, विरोध तथा परिवार -विग्रह से मन खिन्न रहता है। ससुराल से इनको कोई लाभ नहीं होता बल्कि ऐसा देखा जाता है कि ससुराल वाले ही इनसे लाभ उठाते हैं। दोषपूर्ण जीवन रेखा की आयु में स्वयं या पत्नी को किसी न किसी प्रकार का शारीरिक दोष रहता है। ऐसा देखा गया है कि इस समय में स्त्रियों को गर्भाशय सम्बन्धी विकार, मासिक धर्म के दोष या प्रदर आदि रोग रहते हैं। सन्तान या तो उस समय होती नहीं अर्थात् यदि होती भी है तो लड़कियों की संख्या ही अधिक रहती है तथा इस समय में जन्मी हुई सन्तान का स्वास्थ्य भी कुछ समय तक ठीक नहीं रहता । उपरोक्त जीवन रेखा यदि कठोर हाथ में हो तो पेट, गुर्दा, दमा आदि रोग शरीर में उत्पन्न करती है, तथा नरम हाथ में जिगर, मधुमेह, टी. बी. या प्लूरिसी आदि रोगों का संकेत है। दोषपूर्ण जीवन रेखा की आयु में यदि शुक्र ग्रह उन्नत हो तो लड़कियां अधिक होती हैं तथा जीवित भी अधिक रहती हैं। इस आयु में व्यक्ति की वासना 110 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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