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________________ कम हेर-फेर होता है। जिस आयु में जीवन रेखा में अन्तर आरम्भ होता है, अर्थात् जीवन रेखा अच्छी हो जाती है, उस आयु में जीवन में भी उत्थान होना आरम्भ हो जाता है। जब-जब जीवन रेखा में लाल निशान होता है, मृत्यु का खतरा उपस्थित करता है। धन का अपव्यय, मुकदमा, दुर्घटना, रिश्तेदारी में मृत्यु आदि कष्ट सामने आते हैं। =निर्दोष जीवन रेखा (गोलाकार) = जीवन रेखा जितनी सुडौल, दोष रहित तथा गोलाकार होकर शुक्र को घेरती है, उतनी ही उत्तम मानी जाती है। उतना ही जीवन में धन, सन्तान, पद, पत्नी, परिवार का सुख कराती है। जीवन में सुख का बाहुल्य होता है और सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। ऐसे व्यक्ति का वंश बड़ा होता है। जीवन रेखा में जितना दोष होता है, उतना ही परिवार सीमित होता है। निर्दोष जीवन रेखा स्वास्थ्य को भी निर्दोष रखती है। ऐसी जीवन रेखा अन्य दोषों को भी कम करती है। उत्तम जीवन रेखा के साथ एक से अधिक भाग्य रेखा और ग्रह उठे हुए हों तो व्यक्ति दानी होता है। अन्य लक्षणों से दान के परिणाम का पता किया जाता है। ऐसे व्यक्ति के पूर्वज महान होते हैं। जीवन रेखा जितनी गोलाकार होती है, व्यक्ति का भार बढ़ता जाता है। समय का अनुमान भाग्य रेखा से लगाना होता है। जिस समय से भाग्य रेखा का पतली होना आरम्भ है, उसी आयु से व्यक्ति का भार बढ़ना आरम्भ होता है। गोलाकार जीवन रेखा होने पर सन्तान अधिक होती है तथा दो सन्तानों के बीच का अन्तर भी कम होता है जीवन रेखा एक हाथ में सीधी व एक हाथ में गोल हो तो पूर्व पीढ़ी से अधिक स्थिति में सुधार होता है। बायें हाथ से पूर्वजों तथा दायें हाथ से स्वयं की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। ___ गोलाकार जीवन रेखा वाले व्यक्ति धन एकत्रित करने में बहुत होशियार होते हैं। इनके पास धन आदि की अधिकता होती है। साथ ही ये बहुत चतुर प्रवृत्ति के होते हैं। यदि मस्तिष्क रेखा भी अच्छी हो तो बहुत सूझ-बूझ से धन खर्च करने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति माता-पिता के भक्त होते हैं तथा सभी की सहायता करते हैं। गोलाकार जीवन रेखा वाले व्यक्ति बहुत ही उत्तरदायी होते हैं। अत: स्थायित्व प्राप्त करने के बाद ही शादी करना पसन्द करते हैं, परन्तु ऐसे व्यक्ति का विवाह माता-पिता के द्वारा शीघ्र ही किया जाता है। __समकोण व चमसाकार हाथ में जीवन रेखा गोलाकार हो व मस्तिष्क रेखा भी अच्छी हो तो इनके भाग्य का प्रभाव सारे परिवार पर पड़ता है। यदि ये उन्नति करते 109 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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