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________________ में वृद्धि होती है। दोषपूर्ण जीवन रेखा की अवस्था में यदि मस्तिष्क रेखा बहुत अच्छी हो तो आसानी से जीवन-यापन होता रहता है, कठिनाई आती अवश्य है, परन्तु वह आसानी से दूर हो जाती है। दोषपूर्ण जीवन रेखा वाले व्यक्ति कुछ समय तक अपनी पत्नी से असन्तुष्ट रहते हैं, परन्तु बाद में सम्बन्ध ठीक हो जाते हैं। अधिक दोष होने पर व्यक्ति बीमार रहता है तथा बीमारी के बाद उसका शरीर भारी हो जाता है। दोष यदि कोमल हाथ में हो तो वीर्य दोष होता है, कठोर हाथ में होने पर रीढ़ की हड्डी में दर्द, दमा व खांसी का रोग रहता है। आरम्भ में दोषपूर्ण जीवन रेखा होने पर लड़की की ससुराल वाले लालची होते हैं, दामाद यद्यपि ठीक होता है, तब भी वह अपने मां-बाप की अधिक सुनता है, जिससे लड़की को ससुराल में परेशानी बनी रहती है। बहन के विषय में भी ऐसा कह सकते हैं। दोषपूर्ण जीवन रेखा वाले व्यक्ति का गृहस्थ जीवन भी शान्ति से नहीं बीतता। पति-पत्नी एक दूसरे पर लांछन लगाते हैं। दोनों ही स्वभाव से चिड़चिड़े होते हैं। घर से बाहर समाज में इनका स्वभाव प्रायः ठीक ही देखा जाता है। जीवन रेखा दोष पूर्ण होने पर यदि मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से अलग होकर निकली हो, तो बाल्यकाल में स्वयं का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता अर्थात् बचपन में कई बार बीमार होते हैं। यदि जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा के बीच में चतुष्कोण हो तो भयंकर कष्टों से बार-बार रक्षा होती है। __ जीवन रेखा के साथ यदि हृदय रेखा तथा शनि के नीचे मस्तिष्क रेखा में दोष हो तो स्त्री होने पर मासिक धर्म से आंखों में रोग तथा शरीर में भारीपन रहता है। इनको गर्भपात होते हैं व पुरूष होने पर ये कुटेंव से अपना पेट तथा जिगर खराब कर लेते हैं। आरम्भ में जीवन रेखा दोषपूर्ण, साथ ही मस्तिष्क रेखा में झुकाव या कोई रेखा मंगल से आकर जीवन रेखा को काटती हुई बृहस्पति के नीचे मस्तिष्क रेखा पर मिले तो इनके बच्चे को पोलियो हो जाता है, स्वयं को भी शरीर का कोई अंग मारे जाने का डर रहता है। जीवन रेखा दोषपूर्ण होने पर एक या दो सन्तान रहती हैं। यदि मस्तिष्क रेखा भी दोषपूर्ण हो तो सन्तानहीन रहते हैं। जीवन तथा मस्तिष्क रेखा यदि बायें हाथ में दोषपूर्ण हो तो व्यक्ति का जन्म अशिक्षित परिवार में होता है व जन्म के समय उसके परिवार में अकाल, मृत्यु, बीमारी, झगड़े व अधिक खर्चे आदि रहते हैं। जीवन रेखा दोषपूर्ण होने पर मस्तिष्क रेखा बृहस्पति से उदय हुई हो और साथ ही भाग्य रेखा हृदय रेखा पर रूकी हो तो व्यक्ति व्याभिचारी होता है। जीवन रेखा का निकास जीवन रेखा का निकास बृहस्पति, मंगल या इन दोनों के मध्य से ही होता है। 111 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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