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________________ ७४ ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ प्रकार हैं। माणिक्य के उपरत्न-माणिक्य के चार उपरत्न हैं-१. सौगन्धिक, २. तामड़ा, ३. मैसूरी माणिक्य तथा ४. सूर्यकान्त। नीलम के उपरत्न-नीली, लाजवर्द, फिरोजा और कटैला-ये चार रत्न नीलम के उपरत्न हैं। पुखराज के उपरत्न-स्फटिक, नरम पुखराज, सुनैला, धुनैला और टाटरी-ये चार रत्न पुखराज के उपरत्न हैं। पन्ना का उपरत्न-जबरजद, बैरुज, पन्नी, मरगज-ये चार रत्न पन्ना के उपरत्न हैं। मोती के उपरत्न-सीप, चन्द्रकान्त, सूर्याश्म और ओपल-ये चार रत्न मोती के उपरत्न हैं। समुद्र में पैदा होने वाली और नदी में पैदा होने वाली ये दो प्रकार की सीप होती हैं। समुद्र में उत्पन्न होने वाली सीप उत्तम मानी गयी है। क्योंकि इस सीप में मोती होता है। हीरे के उपरत्न-जिरकॉन, वैक्रान्त, फेल्सर तथा फ्लोराइट-ये हीरे के उपरत्न कहे जाते हैं। लहसुनिया (वैदूर्य) के उपरत्न-अलक्षेन्द्र (अलक्जेन्ड्राइट), कर्केराक, श्येनाक्ष और व्याघ्राक्ष-ये चार रत्न लहसुनिया के उपरत्न हैं। मूंगे के उपरत्न–प्रवालमूल तथा राताश्म-ये दो रत्न मूंगे के उपरत्न गोमेद के उपरत्न-तुरसावा, जिरकॉनये दो रत्न गोमेद के उपरत्न ८४ प्रकार के उपरत्न साधारणत: कुछ लोग कुछ प्रसिद्ध रत्नों से ही परिचित हैं। उन रत्नों के प्रभाव और प्रसिद्धि से ही प्रभावित होकर धारण लेते हैं। परन्तु उनके उपरत्न नहीं जानते हैं। यहाँ पर चौरासी उपरत्नों की गणना की जाती है। उनका परिचय उपरत्नों के नवरत्नों के रंग नाम सहित निम्नलिखित है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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