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* रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * किया जा सकता है।
असली शुद्ध मोती धारण करने से मानसिक शक्ति का विकास, शारीरिक सौन्दर्य की वृद्धि, स्त्री एवं धनादि सुखों की प्राप्ति होती हैं। इसका प्रयोग स्मरण शक्ति में भी वृद्धिकारक होता है।
रोग शान्ति-चिकित्सा शास्त्र में भी मोती या मुक्ता भस्म का उपयोग मानसिक रोगों, मूर्छा-मिरगी, उन्माद, रक्तचाप, उदर-विकार, पथरी, दन्तरोगादि
में।
__धारण विधि-मोती चाँदी की अंगूठी में शुक्ल पक्ष के सोमवार को पूर्णिमा के दिन, चन्द्रमा की होरा में गंगा जल, कच्चा दूध व पाण्डुलादि में डुबोते हुए 'ओं श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः' के बीज मन्त्र का पाठ ११,००० की संख्या में करने के पश्चात् धारण करना चाहिए। तदुपरान्त चावल, चीनी, क्षीर, श्वेत फल एवं वस्त्रादि का दान करना शुभ होगा।
__ मोती २, ४, ६ अथवा ११ रति का अनामिका या कनिष्ठका अंगुली में हस्त, रोहिणी अथवा श्रवण नक्षत्र में सुयोग्य ज्योतिषी द्वारा बताए गए मुहूर्त में धारण करना चाहिए। मेष, वृष, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, मीन राशि/लग्न वालों को मोती शुभ रहता है।
चन्द्रमा का उपरल : चन्द्रकान्त मणि (Moon Light Stone)यह उपरत्न चाँदनी जैसे चमक लिए हुए चन्द्रमा का 'उपरत्न' (मोती का पूरक) माना जाता है। इसको हिलाने से, इस पर एक दूधिया जैसी प्रकाश रेखा चमकती है। यह रत्न भी मानसिक शान्ति, प्रेरणा, स्मरण शक्ति में वृद्धि तथा प्रेम में सफलता प्रदान करता है। लाभ की दृष्टि से चन्द्रकान्त मणि मलाई के रंग का (सफेद और पीले के बीच का) उत्तम माना जाता है। इसे चाँदी में ही धारण करना चाहिए।
मंगल-रत्न मूंगा (Coral) इस संस्कृत में अंगारकमणि तथा अंग्रेजी में कोरल (Coral) कहते हैं।
गोल, चिकना, चमकदार एवं औसत से अधिक वजनी, सिन्दूरी से मिलते-जुलते रंग का मूंगा श्रेष्ठ माना जाता है। इसका स्वामी ग्रह मंगल है।
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