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________________ * रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * ४१ अँगूठी में जड़वाकर तथा सूर्य के बीजमन्त्रों द्वारा अँगूठी अभिमन्त्रित करके अनामिका अँगुली में धारण करना चाहिए। इसका वजन ३, ५ अथवा ९ रत्ती के क्रम से होना चाहिए। सूर्य बीज मन्त्र-ओं, हां, ह्रीं, ह्रौं सः सूर्याय नमः। धारण करने के पश्चात् गायत्री मन्त्र की तीन माला का पाठ; हवन एवं सूर्य भगवान को विधिपूर्वक अर्घ्य प्रदान करना तथा ताम्र बर्तन, कनक, नारियल, मानक, गुड़, लाल वस्त्रादि सूर्य से सम्बन्धित वस्तुओं का दान करना चाहिए। विधिपूर्वक माणिक्य धारण करने से राजकीय क्षेत्रों में प्रतिष्ठा, भाग्योन्नति, पुत्र सन्तान लाभ, तेजबल में वृद्धिकारक तथा हृदय रोग, चक्षुरोग, रक्त विकार, शरीर दौर्बल्यादि में लाभकारी होता है। मेष, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक एवं धनु राशि अथवा इसी लग्न वालों को मानक धारण करना शुभ लाभप्रद करता है अथवा जिनकी चन्द्र कुण्डली में सूर्य योगकारक होता हुआ भी प्रभावी न हो रहा हो, उन्हें भी माणिक्य धारण शुभ रहता है। चन्द्र-रत्न मोती (Pearl) चन्द्र-रत्न मोती को संस्कृत में मौक्तिक, चन्द्रमणि इत्यादि, हिन्दीपंजाबी में मोती एवं अंग्रेजी में पर्ल (Pearl) कहा जाता है। मोती या मुक्ता रत्न का स्वामी चन्द्रमा है। पहचान-शुद्ध एवं श्रेष्ठ मोती गोल, श्वेत, चिकना, चन्द्रमा के समान कान्तियुक्त, निर्मल एवं हल्कापन लिए होता है। परीक्षा१. गोमूत्र को किसी मिट्टी के बर्तन में डालकर उसमें मोती रातभर रखें, यदि वह अखण्डित रहे तो मोती को शुद्ध (सुच्चा) समझें। २. पानी से भरे शीशे के गिलास में मोती डाल दें यदि पानी से किरणें सी निकलती दिखलाई पड़े, तो मोती असली जानें । सुच्चा मोती के अभाव में चन्द्रकान्त मणि अथवा सफेद पुखराज धारण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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