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★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★
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गहरा पीला पड़ जाता है । माँसपेशियों में पीड़ा तथा जोड़ों में दर्द हो जाता है। डाक्टरी उपचार शीघ्र कराना चाहिये ।
ज्योतिषीय विचार - लग्नेश जल राशि में पाप ग्रहों के साथ हो तो इस रोग के होने का योग बनता है । बृहस्पति और सूर्य के पापग्रस्त होने, बुध के कमजोर पड़ने या राहु-केतु द्वारा चन्द्रमा से पीड़ित होने की दशा में यकृत शोथ होने की सम्भावना रहती है ।
पीला पुखराज तथा माणिक्य धारण करें। सहायक रत्न के रूप में मूनस्टोन भी धारण कर सकते हैं । रत्नों की भस्म का सेवन करने से भी रोग में लाभ होता है।
मधुमेह
इस रोग को डायबिटीज तथा शुगर भी कहते हैं । अधिकांशतः यह रोग लाइलाज माना गया है। फिर भी दवाओं के माध्यम से इस रोग को सिर्फ काबू में रखा जा सकता है। शरीर में जब इंसुलिन की कमी हो जाती है तब यह रोग होता है | लम्बे समय तक इस रोग का पता ही नहीं चलता । मधुमेह रोग एक वंशानुगत रोग है ।
ज्योतिषीय विचार-कर्क, वृश्चिक या मीन राशि में दो या अधिक पाप ग्रह हों तो मधुमेह होने की सम्भावना रहती है। बृहस्पति यदि लग्नेश के साथ छठे भाव में हो तो तथा तुला राशि में अधिक पाप ग्रह होने पर भी मधुमेह होने की आशंका रहती है। दूषित शुक्र और चन्द्रमा भी मधुमेह होने के संकेत करते है । चन्द्र, शुक्र पर मंगल, सूर्य का योग भी मधुमेह होने की सम्भावना व्यक्त करता है ।
लग्नेश का रत्न अवश्य धारण करें। लाल मूँगा तथा पीला पुखराज धारण करना भी शुभकारी है ।
त्वचा शोथ ( डर्मेटाइटिस)
कई प्रकार के चर्म रोगों को डर्मेटाइटिस की श्रेणी में रखा जाता है । सामान्यतया लोग इसे गम्भीरता से नहीं लेते हैं। त्वचा शोथ, एलर्जी तथा
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