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★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान*
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निमोनिया शीत ज्वर बिगड़ने के कारण यह रोग होता है। इस रोग में फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है और उनमें सूजन आ जाती है। यह एक वायरसजन्य रोग है, जो बच्चों तथा बूढ़ों को अधिक होता है। जिन व्यक्तियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उन्हें निमोनिया होने की प्रबल सम्भावना रहती है। यह रोग सीधे नहीं होता; ठण्ड लगने पर ठीक से उपचार न होने पर यह रोग होता है। ठण्ड लगना, सिर तथा छाती में दर्द आदि इस रोग के लक्षण हैं।
ज्योतिषीय विचार-गोचर भ्रमण में सूर्य, गुरू तथा मंगल जब मिथुन, सिंह या कुम्भ क्षेत्र से संचार करते है तो इस रोग के होने की आशंका होती है।
इस रोग में लाल मूंगा तथा पीला पुखराज धारण करना लाभकारी माना गया है।
हिस्टीरिया इस रोग का दौरा पड़ने पर व्यक्ति का स्वयं पर नियन्त्रण नहीं रहता और वह अजीब तरह की हरकतें करने लगता है। यह एक मानसिक रोग है। जिसमें रोगी बेहोश हो जाता है। इस रोग से पूर्व किसी प्रकार के लक्षण नहीं होते हैं। रोगी को इसका दौरा कहीं भी कभी भी पड़ सकता है।
ज्योतिषीय विचार-चन्द्र, बुध और शनि का स्नायु तन्त्र पर प्रभाव पड़ता है। लग्न से पंचम तथा नवम भाव भी मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। यदि लग्न, पंचम या नवम भाव में पाप ग्रह हो तो जातक को हिस्टीरिया या मिरगी होने की आशंका रहती है। पूरा विवरण बताकर ही किसी अच्छे ज्योतिषी से रत्न के विषय में मालूम करें।
हर्निया इस रोग में आंत का सिरा आमाशय की झिल्ली को फाड़कर नीचे अण्डकोषों में चला जाता है। इससे आँतों की कार्य प्रणाली में बाधा आ जाती है। भारी वजन उठाने, ऑपरेशन के बाद मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति ही प्रायः
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