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★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * क्रोधित होने पर प्राय: जातक पक्षाघात से दुःखी हो जाता है। मूंगा तथा माणिक्य धारण करें। अतिरिक्त रत्न के रूप में मूनस्टोन धारण करें।
सूर्याघात (लू लगना) तेज गर्मी के कारण जब सूर्य सीधे मुँह के ऊपर आकर अपना प्रभाव डालता है तो आसामान्य रूप से शरीर का तापमान बढ़ जाता है तो यही सूर्याघात रोग हो जाता है। जब बाहर का तापमान ४० डिग्री से अधिक है तो देर तक धूप में काम नहीं करना चाहिये व पैदल नहीं चलना चाहिये। लू लगने का डर रहता है। बूढ़ों व बच्चों को लू लगने का अधिक खतरा रहता है। इस रोग में लगातार पसीना आना, तेज ज्वर व त्वचा के सूखने पर शरीर में जल की कमी के कारण प्यास अधिक लगना, भूख न लगना आदि इस रोग के लक्षण हैं।
ज्योतिषीय विचार-इस रोग का कारण सूर्य तथा मंगल माना गया है। ग्रीष्म ऋतु में पीला पुखराज या मूनस्टोन धारण करने से इस रोग का खतरा कम हो जाता है।
इनफ्लूएंजा यह रोग एक प्रकार का वाइरल संक्रमण है। जो श्वास नालिका पर संक्रमण कर उसे क्षतिग्रस्त कर देता है। रोगी को खाँसी-जुकाम की शिकायत हो जाती है। यह एक संक्रामक रोग है। इस रोग से माँसपेशियों में कमजोरी, सिरदर्द, भूख न लगना तथा तीव्र ज्वर के लक्षण स्पष्ट होते हैं। हफ्ता दस दिन में यह अपने आप ठीक हो जाता है। इलाज समय पर करें।
ज्योतिषीय विचार-लग्न या छठे भाव का स्वामी एक साथ होने पर यह रोग के होने का योग बनता है। जन्म कुण्डली में जल राशि का सूर्य व मंगल हो तो भी यह रोग हो सकता है।
लाल मूंगा और पीला पुखराज धारण करना लाभकारी है। बारबार रोग होता है तो काला हकीक, माणिक्य तथा सूर्यकान्त मणि एक साथ लॉकेट में डाल कर गले में पहनें।
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