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________________ १३० ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * हिमालय, तिब्बत में अधिक पाया जाता है। संग कसौटी-यह संग काला, चिकना और भारी होता है। यह सोने की परख के काम में आता है। शालग्राम जी की मूर्ति भी इसी संग की बनाते हैं। जिसमें सोने का चिन्ह पड़ता है। यह संग गण्डकी, जम्मू, नेपाल और बर्मा में होता है। उलूक मणि उलूक मणि सिन्धु नदी के किनारे पर्वतों और वन में प्राप्त होती है। इसे उल्लू अपने घोंसले में रखते हैं और उससे बड़े-बड़े काम लेते हैं। यह मटिया रंग की नरम अंगवाली व चिकनी होती है। इसके स्वामी कामदेव हैं। __ जहाँ पर उल्लूओं के अधिक घोंसले हों वहाँ पर यह पत्थर होता है। वहाँ से जो भी पत्थर लायें उसे घर आकर पानी से साफ करें। फिर किसी अन्धे को अन्धेरे में ले जाकर रोशनी करें फिर उसकी आँखों में मणि लगायें तो उसको नेत्र ज्योति प्राप्त हो जायेगी। इसके धारण करने से सभी नेत्र रोग दूर होंगे। उलूक मणि के संग दो प्रकार के होते हैं-(१) संग बसरी (२) संग बाँसी। संग बसरी-यह संग मटिया, खाकी रंग का चमकदार, चिकना, नरम होता है। यह महानदी, हिमालय, स्याम, फिरंग स्थानों में पैदा होता है। संग बाँसी-यह संग सफेद गौरैया चिड़िया के रंग का होता है। इसके काले रंग में अबरखा बिन्दु होता है । यह नरम चिकना, चमकदार होता है। जो ढुंढार देश में ज्यादा पाया जाता है। इसकी मूर्तियाँ बनती हैं तथा देव मन्दिरों व महलों में यह पत्थर लगाया जाता है। यह संग बहुत लम्बा-चौड़ा होता है। लाजावर्त या वर्तकमणि (Lapis Lazuli) लाजावर्त खास का रंग शम्भु के कण्ठ, मोर का गला या श्री हरि के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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