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________________ ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ १२५ आदि के निशान पड़ जाते हैं, वे स्फटिक निर्मित ग्लासों पर जल्दी नहीं पड़ते। इस पर नक्काशी का काम भी बड़ा सुन्दर होता है। ज्योतिष की दृष्टि से स्फटिक को शुक्र रत्न तथा हीरे का उपरत्न माना गया है। शुक्र की दशा होने पर जो व्यक्ति हीरा नहीं पहन सकते वे स्फटिक धारण कर सकते हैं। स्फटिक अंगूठी में जड़ने योग्य रत्नों के आकार में प्रायः उपलब्ध होता है। इसकी धारण विधि आदि हीरे के समान है। इसके अतिरिक्त स्फटिक की मालाएँ भी बनती हैं। जो विभिन्न आकार के मनकों के रूप में बहुतायत में मिलती हैं। स्फटिक का विशेष गुण यह है कि यह शीतवीर्य होता है। इसी कारण इसकी माला धारण करना गर्म स्वभाव वाले व्यक्तियों के लिए बहुत लाभदायक है। स्फटिक माला के विषय में कहा जाता है कि यह क्रोध को नियन्त्रित करती है। इसे धारण करने से धारक का स्वभाव शान्त तथा शीतल रहता है। स्फटिक माला का एक गुण यह भी है कि इस माला का जाप करने से मन्त्र शीघ्र ही सिद्ध हो जाते हैं और अपनी सामर्थ्यानुसार फल देते हैं। विशेष रूप से गायत्री मन्त्र व लक्ष्मी मन्त्र के जाप के लिए स्फटिक माला विशेष फलदायिनी एवं सर्वोत्तम मानी गई है। स्फटिक माला का एक गुण यह भी है कि इसे रुद्राक्ष माला के समान ही कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है। यह माला सदैव लाभ प्रदान करने वाली होती है। इसे धारण करने से शुक्र जनित दोषों की शान्ति होती है तथा धारक को असीम सुख की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त स्फटिक से कुछ मूर्तियाँ आदि भी बनाई जाती हैं। स्फटिक पत्थर से शिवलिंग, गणेश, नन्दी, श्री यन्त्र आदि अनेक प्रकार की मूर्तियों का भी निर्माण किया जाता है। अपनी आकर्षक नक्काशी के कारण ये मूर्तियाँ पूजनीय तथा संग्रह करने योग्य होती हैं। रॉक क्वार्ट्ज़ क्रिस्टल प्राचीन काल से ही अत्यन्त पवित्र व अद्भुत विलक्षणता के लिए माना जाता रहा है। यह श्वेत प्रकाश का प्रतीक माना जाता है। सुचालक है, प्रेषित व प्रेषण दोनों का कार्य करने की स्फटिक में अद्भुत क्षमता है। यह किसी भी प्रकार के सकारात्मक कम्पन विचारें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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