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________________ ११४ * रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ में धारण करती थीं। उनका विश्वास था कि इस रत्न को धारण करने से गठिया, सन्धिवात, नाड़ी दर्द जैसे रोग नहीं होते। इसके धारण करने से मोटर-गाड़ी आदि से दुर्घटना नहीं हो सकती और शायद आज के संसार में यही इस रल की बहुत बड़ी विशेषता है। यह पारिवारिक जीवन में सुख और सफलता के लिए विशेष रत्न है। जेड यह उपरत्न एक कठोर श्रेणी का रत्न है। यह रत्न अपारदर्शक और अर्द्ध-पारदर्शक होता है। चीन वासियों का कहना है कि जेड प्यास बुझाता है, वाक्पटुता बढ़ाता है। मध्यकालीन अमेरिकी इस रत्न को पेट व गुर्दो के रोग, मूत्राशय की पथरी आदि के रोगों से मुक्ति पाने के लिए धारण करते थे। मिस्र देश में भी इस रत्न का ताबीज के रूप में प्रचलन था। विशेष रूप से घुड़दौड़ की सफलता में जेड़ का बहुत महत्त्व है। ओपल यह मूल्यवान उपरत्न है। रत्नों में सबसे अधिक सुन्दर और रहस्यपूर्ण रत्न है। इसमें इन्द्रधनुष के सभी रंग पाए जाते हैं जो रोशनी पड़ने पर चमक उठते हैं। इस रत्न की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह रत्न अपने धारण करने वाले की चित्तवृत्ति के अनुसार अपने रंग को बदलता है। अगर मनुष्य प्रसन्नचित्त होगा तो यह रत्न लाल रंग का हो जाएगा और अगर यह क्रोधी होगा तो यह रत्न हरे रंग का हो जाएगा आदि। इसे धारण करने के बाद मनुष्य को आशा बंधी रहती है। जिस समय यह रत्न लालिमा पर हो उस समय कोई भी कार्य करने पर आशा पूर्ण होती है। यह रत्न धारण करने वालों को बतला देता है कि यह शुभ है या अशुभ। अगर धारण करते समय इस रत्न की चमक बनी रहेगी तो यह रत्न Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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