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★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★
हकीक यह रत्न कई प्रकार के रंगों में मिलता है। इस रत्न में कई बार स्वाभाविक रूप से आकृतियाँ जैसे-पक्षी, वृक्ष, बादल, घास, पौधे आदि के चिह्न पाए जाते हैं।
प्राचीन काल में वैद्य व हकीम आँख की दवाई इस पत्थर पर ही बनाते थे।
हकीक को यदि बिच्छू के काटे स्थान पर कसकर बाँध दिया जाए तो विष नहीं फैलता और दर्द दूर हो जाता है।
अगर इस रत्न को सिंहनी के बाल से बाँधकर गले में धारण किया जाए तो राज दरबार में सम्मान मिलता है और मान-मर्यादा बढ़ती है। विशेषतया प्रेमी और प्रेमिका का सहयोग मिलता है और कोई मित्र धोखा नहीं देता।
इसका रत्न के रूप में कोई विशेष महत्त्व नहीं है, परन्तु कवच या ताबीज के रूप में आज भी इसका बहुत महत्त्व है।
क्राइसों प्रेज यह अल्पमोली, पारदर्शक रत्न है। इस रत्न की विशेषता यह है कि इसको धारण करने से बुरे और भयानक स्वप्न नहीं आते। भूत-प्रेत जैसी आत्माएँ कष्ट नहीं देतीं। यह रत्न मान-मर्यादा को तो बढ़ाता है परन्तु वह सन्तोषी भी हो जाता है। यह रत्न वाकपटुता भी प्रदान करता है।
सन्धिवात, ग्रन्थिवात और गठिया जैसी बीमारियों के लिए यह रत्न विशेष रूप से फलदायक है।
चन्द्रकान्त मणि इस अल्पमोली रत्न का सम्बन्ध चन्द्रमा से है। यह रत्न पारदर्शक व हल्का दूधिया होता है।
जलोदररोगया दूसरेपानी के रोगों में रक्षावउसकी चिकित्साकरता है।मानसिक प्रेरणा भी देता है और प्रेम में सफलता प्रदान करता है।
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