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________________ * रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * १०९ चित्तियाँ पाई जाती हैं। यह एक अपारदर्शक उपरत्न है। ये लाल चित्तियाँ आयरन ऑक्साइड मिश्रण के कारण बनती हैं। पितौनिया को यदि पानी में भिगोकर चोट आदि पर रखते हैं तो यह खून के रिसाव को बन्द कर देता है और जख्म को शीघ्र भरता है। आधुनिक वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया है कि इसकी यह विशेषता इसमें आयरन ऑक्साइड का होना है। यदि इस उपरत्न को चाँदी की चेन में डलवाकर गले में पहना जाए तो यह नकसीर (नाक से खून) का समूल नाश कर देता है और फिर यह बीमारी आजीवन उस जातक को नहीं होती। फिरोजा या हरिताश्म यह शुक्र का उपरत्न है। हालांकि कभी-कभी गलती से इसको शनि का भी रत्न कहा जाता है। यह अपारदर्शक उपरत्न है। यह एक मुलायम और चिकना रत्न है और ईरान देश का राष्ट्रीय रत्न है। यह रत्न अधिकतर रक्षा यन्त्र के रूप में प्रयोग आता है और फिरोजा नफरत को शान्त करता है। विशेषताएँ यह रत्न मनुष्य के स्वास्थ्य का प्रतीक है। रोग होने पर पीला पड़ जाएगा और मृत्यु होने पर इसका रंग समाप्त हो जाएगा, परन्तु जैसे ही दूसरा स्वस्थ मनुष्य इस रत्न को धारण करेगा तो इस रत्न का अपना असली रंग वापस लौट आएगा। यह रत्न आने वाले कष्ट को अपने ऊपर ले लेता है और धारण करने वाला बच जाता है, परन्तु इस रत्न का यह गुण तभी फलीभूत होगा जब इसे कोई भेंट के रूप से प्रदान करेगा, अपनी लागत से खरीदा हुआ रत्न फलीभूत नहीं होगा। अगर इस रत्न के धारक के विरुद्ध कोई षड्यन्त्र हो तो यह अपना रंग बदलकर धारक को पहले से ही सावधान कर देगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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