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________________ १०२ ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * क्षत्रिय के लिये, कृष्ण सूत्र वाला लहसुनिया शुद्र के लिये लाभदायक होता है। लहसुनिया के दोष-दूषित लहसुनिया इस प्रकार हैं। रक्त बिन्दु वाला लहसुनिया पुत्र को दुःखी करता है। रक्त दोष वाला गृह क्लेश बढ़ाता है। मधुवन बिन्दु वाला लहसुनिया स्त्री को दुःख पहुँचाता है। सफेद बिन्दु वाला भाईयों को दुःख देता है। काले बिन्दु वाला लहसुनिया प्राण हर लेता है। धब्बा वाला शत्रु भय और लड़ाई में पराजय कराता है। गड्ढादार लहसुनिया उदर रोग पैदा करता है। ऐसा दोषयुक्त लहसुनिया प्राणी को नहीं धारण करना चाहिये। लहसुनिया का उपयोग-केतु ग्रह की शान्ति के लिये लहसुनिया का उपयोग किया जाता है। लहसुनिया रत्न की अंगूठी बनवाकर पहनें। इसके पहनने से सुख-सम्पत्ति वंश आदि की वृद्धि है। शत्रु का नाश कर भय को दूर करता है। हकीक रत्न परिचय-यह बालू का यौगिक है। स्फटिक वर्ग का रल होने से इसे 'सिक्थ स्फटिक' भी कहते हैं। इसमें एल्यूमिनियम, आयरन ऑक्साइड आदि पदार्थों का सम्मिश्रण होता है। यह अपारदर्शक पत्थर है। कभी-कभी पारदर्शक हकीक भी देखने को मिलता है। यह लाल, श्याम, श्वेत, पीला व मिश्रित हरित वर्ण लिये मोम जैसी चमक वाला आकर्षक पत्थर है। सुलेमानी पत्थर सुलेमानी पत्थर का मुस्लिम सभ्यता के अनुसार एक अपना विशिष्ट आध्यात्मिक महत्त्व है। यह हकीक का ही एक भेद है । यह पत्थर श्याम वर्ण का चिकना, वजनदार, शोभनीय व मृदु होता है। यह प्रायः शिवलिंग के आकार का होता है अन्य आकारों में भी पाया जाता है । इस प्रकार के दो और पत्थर भी पाये जाते हैं। जिनका नाम है-अलेमानी, जज़ेमानी। अलेमानी पत्थर-अलेमानी पत्थर का रंग तैल वर्ण का होता है तथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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