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________________ * रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * १०१ गोमेद के लाभ-सच्चा गोमेद रत्न धारण करने से शत्रु सामने नहीं आता। राहु यदि नीच लग्न में हो तो गोमेद धारण करना चाहिये। साफ, सुन्दर घाट का चमकदार छाया वाला चिकना गोमेद ही लेना चाहिये। इसके धारण करने से सुख सम्पत्ति की वृद्धि होती है तथा रोग दूर होते हैं। लाल गोमेद क्षत्रिय के लिये, श्यामतायुक्त शूद्र के लिये, पीला गोमेद वैश्य के लिये तथा ब्राह्मण के लिये श्वेत आभा वाला गोमेद शुभ होता है। गोमेद के दोष-गोमेद रत्न में कई दोष होते हैं। सफेद बिन्दु वाला गोमेद रत्न शरीर में भय लाता है। बहुदोषी गोमेद स्त्री के सुख नष्ट करता है। लाल बिन्दु गोमेद सन्तान को दुःखी करता है। रूखा गोमेद मान प्रतिष्ठा नष्ट करता है। लाल अंग वाला गोमेद शरीर के अंग भंग करता है। इस प्रकार के दूषित गोमेद नहीं धारण करना चाहिये। गोमेद का उपयोग-गोमेद रत्न राहु ग्रह को नष्ट करने के लिये धारण किया जाता है तथा चिकित्सा रूप में गर्मी, वायुगोला, ज्वर, दुर्गन्ध, नकसीर, बवासीर, त्वचा रोग पाण्डु आदि रोगों में प्रयोग किया जाता है। ९. लहसुनिया (Cat's Eye) लहसुनिया का स्वामी केतु ग्रह होता है। जिसके ऊपर केतु ग्रह का प्रकोप हो उसे लहसुनिया धारण करना चाहिये। श्रीपुर, महानदी, सौराष्ट्र, त्रिकुट पहाड़, हिमालय, गंगा किनारे सुन्दरवन, अमर कंटक व मंझार देश में लहसुनिया मिलते हैं। इसका रंग श्वेत, सुनहरा, खड़िया, हरा, जर्द काला आदि रंग के होता है। यह रात्रि में चमकता है। लहसुनिया के लाभ-गुणयुक्त लहसुनिया चिकना, चमकदार अच्छे घाट तथा जनेऊ सूत्र की शुद्ध रेखायुक्त होता है। शुद्ध सूत्र देखकर इसके धारण करने से पुत्र, सम्पत्ति और घर में आनन्द रहता है। नष्ट हुई लक्ष्मी वापस आती है। दरिद्रता दुःख आदि दूर होते हैं। इसके धारण करने से शस्त्र, अपमान तथा भयानक पशुओं से रक्षा होती है। धारणकर्ता शूरवीर शत्रु पर विजय पाता है। ब्राह्मण के लिये श्वेत सूत्र वाला लहसुनिया लाभदायक है। पीले या हरे सूत्र वाला लहसुनिया या वैश्य के लिये, स्वर्ण सूत्रवाला लहसुनिया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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