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________________ परिशिष्ट ४३. देवद्रव्य राखइ छइ, ते केहनी परम्परा छइ ? ४४. पगइ लागइ नीची पछेड़ी ओढइ छइ, ते केहनी परम्परा छइ ? ४५. सूरिमंत्र लेइई छइ, ते केहनी परम्परा छइ ? ४६. दीहाड़ी सूरिमंत्र गणइ छइ, ते केहनी परम्परा छइ ? ४७. कलपड़ा थटइ छइं, ते केहनी परम्परा छइ ऊजला ? ४८. पजूस माहिं बरकन्हइ तप करावइ छइ, ते केहनी परम्परा छइ ? ४९. घडूला करावइ छइ, ते केहनी परम्परा ? ५०. आंबिल नी ओली सिद्धचक्र नी करावइ छइ, ते केहनी परम्परा छइ ? ५१. महात्मा काल करा पछी ते ऊठमणुं करइ छइ, ते केहनी परम्परा ? ५२. प्रतिमा झूलणं करावइ छइ, ते केहनी परम्परा छइ ? ५३. पदीक आगलि ऊंबणी मांडइ छइ, ते केहनी परम्परा छइ ? ५४. पजूसण पर्वनइ चउथनइं पड़िकमइ छई, ते केहनी परम्परा छइ ? १ ५३९ 'लूंकाए पूछेल १३ प्रश्न अने तेना उत्तरो' "ओम् नमो अरिहंताण" श्री वीतराग, श्री गणधर, श्री साधु चारित्रिया संसार मांहि सार पदार्थ छइ। एहज वीतरागादिक गृहवासि हुई अनइ षट्काय नइ आरम्भि वर्त्तई तिवारइं वंदनीय नहीं तउ प्रतिमा अजीव अचेतन अनई तिहां षट्काय नइ आरम्भ वर्त्तइ छइ, ते वंदनीय किम हुई ? (प्रश्न सं० १) तथा तीर्थंकर, गणधर, साधु एहनी भक्ति आरम्भि न थाई तउ अजीव नी भक्ति किम थाई ? (प्रश्न सं० २) तथा गुण वंदनीक के आकार वन्दनीक ? जइ गुण वन्दनीक तउ प्रतिमां मांहिं केहवउं गुण छइ, अनइ जइ आकार वंदनीक तर आवड़ा पुरुष आकारवंत छइ, ते वंदनीक किम नहीं ? ( प्रश्न सं० ३) प्रतिमा मांहि केही अवस्था छइ, जइ गृही नी तउ साधु नइ वंदनीय नहीं, अनइ यति नी त यती नउ चिह्न दीसतउ नथी, जइ यती नी जाणउ तउ फूल, पाणी, दीवा इम का करउ ? (प्रश्न सं०४ ) तथा देव मोटा के गुरु मोटा ? जइ देव नई फूल चढ़इ तउ गुरु नई स्युइ न चढ़ावउ ? जइ जाणउ गुरु महाव्रती तउ देव स्यउं अविरती छइ ? (प्रश्न सं०५ ) तथा केतला एक श्रावक पाहिइं प्रतिमा पुजावइ छई पूजणार धर्म जाणी पूजइ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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