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________________ ४९४ स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास मुनि श्री. बसन्तमुनिजी आपका जन्म उज्जैन में हुआ। आपके पिताजी का नाम श्री छोगमलजी है। वि०सं० २०२५ माघ पूर्णिमा के दिन आप दीक्षित हो गुरुवर्य मुनि श्री प्रतापमलजी के प्रशिष्य हुये। आप प्राकृत व संस्कृत के अच्छे जानकार हैं। मुनि श्री प्रकाशमुनिजी आपका जन्म वि०सं० २००६ माघ शुक्ला एकादशी दिन रविवार को हुआ। आपके पिता का नाम श्री नाथूलालजी व माता का नाम श्रीमती सोहनबाई गांग है। वि०सं० २०२५ माघ पूर्णिमा को आपने गुरुवर्य मुनि श्री प्रतापमलजी के शिष्यत्व में दीक्षा ग्रहण की। मुनि श्री सुदर्शनमुनिजी व श्री महेन्द्रमुनिजी आप दोनों मुनिराज अमृतसर के गढ़ला निवासी थे तथा रिश्ते से सांसारिक पिता- पत्र हैं। वि०सं० २०२६ ज्येष्ठ वदि एकादशी को हसनपालिया (जावरा) में आप दोनों गुरुवर्य मुनि श्री प्रतापमलजी के शिष्यत्व में दीक्षित हुये। मुनि श्री कान्तिमुनिजी आपका जन्म वि०सं० २००७ वैशाख सुदि चतुर्थी के दिन उज्जैन में हुआ। आपके पिता का नाम श्री अनोखीलालजी व माता का नाम श्रीमती सोहनबाई पितलिया है। आप कई वर्षों तक मुनि श्री कस्तूरचन्दजी की सेवा में रहे। तत्पश्चात् वि०सं० २०२७ माघ शुक्ला पंचमी दिन रविवार को आप छायन ग्राम में मुनि श्री प्रतापमलजी के शिष्यत्व में दीक्षित हुये। आगे की सूची उपलब्ध नहीं हो सकी है। मुनि श्री हुक्मीचन्दजी आपका जन्म सादड़ी (मेवाड़) में हुआ। वि०सं० १९५८ में दीक्षित हुये और मुनि श्री लक्ष्मीचन्दजी के शिष्य बने । मुनि श्री पन्नालालजी आपका जन्म बड़ी सादड़ी में हुआ। वि०सं० १९६३ पौष वदि तृतीया को बड़ी सादड़ी में ही अपने सांसारिक पिता मुनि श्री लक्ष्मीचन्दजी के कर-कमलों से दीक्षित हो उनके शिष्य बने। मुनि श्री रतनलालजी आप मुनि श्री पन्नालालजी के सांसारिक भाई व मुनि श्री लक्ष्मीचन्दजी के सांसारिक पुत्र थे। वि० सं० १९६३ पौष वदि तृतीया को अपने भाई श्री पन्नालालजी के साथ ही दीक्षित होकर मुनि श्री लक्ष्मीचन्दजी के शिष्य हुये। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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