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________________ ४९२ वि० सं० २०२१ इन्दौर २००८ २००९ २०१० २०११ २०१२ २०१३ स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास स्थान वि० सं० स्थान दिल्ली २०२० उदयपुर कानपुर कलकत्ता २०२२ बड़ी सादड़ी सैथियाँ २०२३ मन्दसौर कलकत्ता २०२४ जोधपुर कानपुर २०२५ मदनगंज मन्दसौर २०२६ मन्दसौर पूना २०२७ बड़ी सादड़ी विलेपारले (बम्बई) २०२८ रामपुरा २०२९ डूंगला रतलाम २०३० इन्दौर २०१४ २०१५ २०१६ देवगढ़ २०१७ २०१८ २०१९ अजमेर मुनि श्री प्रतापमलजी की शिष्य परम्परा मुनि श्री बसन्तीलालजी आपका जन्म मन्दसौर निवासी स्व० श्री रतनलालजी के यहाँ हुआ। ई० सन् २१ फरवरी १९४० को रतनपुरी (रतलाम) में गुरुवर्य मुनि श्री प्रतापमलजी के कर-कमलों में आपने आहती दीक्षा अंगीकार की। मालवा, उत्तरप्रदेश, बिहार, बंगाल, नेपाल, खानदेश, राजस्थान, गुजरात, पंजाब, आंध्र आदि प्रान्त आपके विहार क्षेत्र रहे हैं। आप एक तपस्वी सन्त रहे हैं। मुनि श्री राजेन्द्रमुनिजी शास्त्री आपका जन्म मध्यप्रदेश के पीपलु ग्राम में हुआ। आपके पिता का नाम श्री लक्ष्मणसिंह सोलंकी और माता का नाम श्रीमती सज्जनदेवी था। आपकी जन्म-तिथि के विषय में मात्र इतना ज्ञात हो पाता है कि आपका जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। वर्ष ज्ञात नहीं है। वि० सं० २००८ वैशाख शुक्ला अष्टमी को जयपुर के खण्डेला नामक स्थान में रधुनाथजी की उपस्थिति में मुनि श्री प्रतापमलजी के शिष्यत्व में आपने दीक्षा अंगीकार की। दीक्षोपरान्त मुनि श्री प्रतापमलजी से हिन्दी, संस्कृत और प्राकृत भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। Jain Education International. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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