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________________ ४७८ स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास जवाहरलालजी के शिष्यत्व में दीक्षित हुये। आपके दो पुत्र श्री देवीलालजी और श्री भीमराजजी ने भी दीक्षा अंगीकार की थी। मुनि श्रीदेवीलालजी. आपका जन्म केरी में हुआ। वि० सं० १९३५ में बड़ी सादड़ी (मेवाड़) में मुनि श्री माणकचन्दजी के शिष्यत्व में आप दीक्षित हुये । दीक्षोपरान्त आपने आगमों का तलस्पर्शी अध्ययन किया। मुनि श्री भीमराजजी आपका जन्म केरी में हुआ। वि०सं० १९४९ में दीक्षित हो अपने सांसारिक पिता मुनि श्री माणकचन्दजी की निश्रा में शिष्य हुये। मुनि श्री राधाकिशनजी __आपका जन्म अजमेर में हुआ । वि० सं० १९५६ में दीक्षित हो मुनि श्री देवीलाल जी के शिष्य बने । मुनि श्री कस्तूरचन्दजी आपका जन्म मन्दसौर में हुआ। वि०सं० १९६० में मुनि श्री देवीलालजी के शिष्य बने । आपकी दीक्षा मन्दसौर में ही हुई। मुनि श्री किशनलालजी आपका जन्म कुकडेश्वर में हुआ। वि०सं० १९८८ में मन्दसौर में दीक्षित हो मुनि श्री कस्तूरचन्दजी के शिष्य बने । मुनि श्री शेषमलजी आपका जन्म टाटगढ़ (मेवाड़) के पीतलिया गोत्रीय ओसवाल परिवार में हुआ। वि०सं० १९६७ में श्वेताम्बर तेरापंथ सम्प्रदाय में दीक्षा ग्रहण की, किन्तु कुछ मत वैभिन्न्यता के कारण वि०सं० १९७४ द्वितीय भाद्र सुदि एकादशी को दिल्ली में आपने स्थानकवासी हुक्मीसंघ के मुनि श्री देवीलाजी के शिष्यत्व में दीक्षा ग्रहण की। आप संस्कृत व न्याय के अच्छे ज्ञाता थे। वि०सं० १९९१ माघ सुदि त्रयोदशी को आप मन्दसौर में संघ के उपाध्याय पद पर प्रतिष्ठित हुये। मुनि श्री शोभालालजी ___ आपका जन्म बीकानेर के रेणी ग्राम में हुआ। पूर्व में आपने श्वेताम्बर तेरापंथ सम्प्रदाय में दीक्षा ग्रहण की थी, किन्तु बाद में मत वैभित्र्यता होने के कारण वि० सं० १९७८ वैशाख सुदि तृतीया को दीक्षित हो मन्दसौर में मुनि श्री शेषमलजी के शिष्य बने। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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