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________________ ४४५ दिल्ली १८७८ १८८४ आचार्य मनोहरदासजी और उनकी परम्परा विक्रम संवत् स्थान विक्रम संवत् स्थान १९७४ जींद (पंजाब) १८९८ बिनौली (मेरठ) १८७५ मालेरकोटला (पंजाब) १८९९ १८७६ कांघला (मुजफ्फरनगर) १९०० उज्जैन (मध्य प्रदेश) १८७७ नाभा (पंजाब) १९०१ लश्कर (मध्य प्रदेश) पटियाला (पंजाब) १९०२ आगरा- (लोहामंडी, उ.प्र.) १९७९ नारनौल (पंजाब) १९०३ अलवर (राजस्थान) १८८० सिंघाणा (शेखावाटी १९०४ एलम (उत्तर प्रदेश) १८८१ एलम (मुजफ्फरनगर) १९०५ जलेसर (उत्तर प्रदेश) १८८२ अमृतसर (पंजाब) १९०६ लखनऊ (उत्तर प्रदेश) १८८३ दादरी (पंजाब) १९०७ हाथरस (उत्तर प्रदेश) बामनौली (उत्तर प्रदेश) १९०८ गढ़ी मियांवाली (उ.प्र.) १८८५ बड़ौत (उत्तर प्रदेश) १९०९ सुनाम (पंजाब) १८८६ आगरा (उत्तर प्रदेश) १९१० लोहामंडी (आगरा,उ.प्र.) १८८७ दिल्ली १९११ बिनौली (मेरठ, उ.प्र.) १८८८ लश्कर (मध्यप्रदेश) १९१२ हरदुआगंज (अलीगढ़) १८८९ अलवर (राजस्थान) १९१३ डीग (भरतपुर) १८९० जयपुर (राजस्थान) १९१४ लोहामंडी (आगरा, उ.प्र.) १८९१ बीकानेर (राजस्थान, १९१५ बड़ौत (उत्तर प्रदेश) १८९२ आगरा (मोतीकटरा,उ.प्र.) १९१६ अम्बाला (पंजाब) कुचामन (मारवाड़) १९१७ लश्कर (मध्य प्रदेश) १८९४ बिनौली (मेरठ) १९१८ आगरा (उत्तर प्रदेश) १८९५ जोधपुर (मारवाड़) १९१९ दिल्ली १८९६ पटियाला (पंजाब) १९२० लोहामंडी (आगरा, उ.प्र.) १८९७ लश्कर (मध्यप्रदेश) तपोनिधि मुनि श्री विनयचन्दजी. आप पूज्य रत्नचन्दजी के शिष्य थे। आपके विषय में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। आपका स्वर्गवास वि०सं० १९३२ में लोहामंडी (आगरा) में हुआ। आपके तीन शिष्य हुए- श्री चतुर्भुजजी, श्री चेतनरामजी और श्री भरताजी। मुनि श्री भरताजी आपका जन्म वि०सं० १९१० वैशाख शुक्ला अष्टमी को आगरा के सनिकट कुझेर नामक ग्राम में हुआ। १४ वर्ष की आयु में वि०सं० १९२४ मार्गशीर्ष कृष्णा त्रयोदशी को मेरठ जिलान्तर्गत दोघट ग्राम में आप मुनि श्री चतुर्भुजजी से आहती दीक्षा १८९३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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