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________________ स्थान अकोला भादसौड़ा रामसी घासा मोही सनवाड़ मालकी १९७४ राजाजी का करेड़ा जावरा सनवाड़ ३८८ वि० सं० १९४८ १९४९ १९५० १९५१ १९५२ १९५३ १९५४ १९५५ १९५६ १९५७ १९५८ १९५९ १९६० १९६१ १९६२ १९६३ १९६४ १९६५ १९६६ १९६७ स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास स्थान वि० सं० सनवाड़ १९६८ आमेट १९६९ १९७० सनवाड़ १९७१ ऊंटाला १९७२ रायपुर १९७३ अकोला ऊंटाला १९७५ राजाजी का करेडा १९७६ सनवाड़ १९७७ उदयपुर १९७८ रायपुर १९७९ सनवाड़ १९८० बदनौर १९८१ १९८२ गोगुंदा १९८३ ऊंटाला १९८४ रायपुर १९८५ सरदारगढ़ १९८६ १९८७ नाथद्वारा देलवाड़ा रायपुर देवगढ़ रायपुर कुंवरिया अकोला ऊँटाला छोटी सादड़ी रायपुर मावली ऊंटाला देलवाड़ा आचार्य श्री मांगीलालजी आपका जन्म वि०सं० १९६७ पौष अमावस्या दिन गुरुवार को राजस्थान के राजकरेड़ा में हुआ। आपके पिता का नाम श्री गम्भीरमल संचेती और माता का नाम श्रीमती भगनबाई था। वि० सं० १९७८ वैषाख शुक्ला दिन गुरुवार को रायपुर में आचार्य श्री एकलिङ्गदासजी के शिष्यत्व में आपने आहती दीक्षा अंगीकार की। आपके साथ आपकी माताजी भी दीक्षित हुई थीं। आपकी माता महासती फूलकुँवरजी की शिष्या बनीं। वि०सं० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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