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स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास मुनि श्री मेघराजजी स्वामी
___ आपने वि०सं० १८४० में दीक्षा ग्रहण की । इसके अतिरिक्त अन्य कोई जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। मुनि श्री डाह्यजी स्वामी
वि०सं० १८४० में आपने दीक्षा ग्रहण की। अन्य कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। मुनि श्री नेनशीजी स्वामी (बड़े)
वि० सं० १८४० में आप दीक्षित हुये। अन्य जानकारी अनुपलब्ध है। मुनि श्री अम्बाजी स्वामी
आपके विषय में नाम के अतिरिक्त कोई अन्य जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। मुनि श्री भीमजी स्वामी
__ आपका जन्म वि० सं० १८४२ में हुआ । वि०सं० १८५० में आप दीक्षित हुये। वि० सं० १९२० में आपका स्वर्गवास हुआ। मुनि श्री नेनशीजी स्वामी (छोटे)
आप वि० सं० १८५२ में दीक्षित हुये। वि० सं० १९२२ कार्तिक पूर्णिमा को आप स्वर्गस्थ हुये। आपके तीन शिष्य हुये- श्री नारणजी स्वामी, श्री मोहनजी स्वामी
और हेमचन्द्रजी स्वामी । मुनि श्री देवजी स्वामी
आपका जन्म वि०सं० १८८४ में हुआ। वि०सं० १८९९ में आप दीक्षित हुये और वि० सं० १९५४ में आपका स्वर्गवास हुआ। आपके तीन शिष्य हुये- श्री जयचन्दजी स्वामी, श्री प्राणजी स्वामी और श्री हीराचन्दजी स्वामी। आपके प्रशिष्यों की संख्या तैतीस है। मुनि श्री. माणकचन्दजी स्वामी
आपका जन्म वि०सं० १९१५ में हुआ। वि० सं० १९२९ में आप दीक्षित हये। वि० सं० १९७९ में आप स्वर्गस्थ हुये। आपके तीन शिष्य हुये । श्री कचराजी स्वामी, श्री वीरजी स्वामी एवं श्री प्रेमचन्दजी स्वामी। श्री. जादवजी स्वामी
__ आप वि०सं० १९४२ में दीक्षित हुये। वि०सं० १९८४ में आपका स्वर्गवास हुआ। इसके अतिरिक्त अन्य कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
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