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________________ ३२० स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास मुनि श्री ओघड़जी स्वामी सुदामड़ा (सौराष्ट्र) में आपका जन्म हुआ। वि० सं० १९४१ चैत्र सुदि चतुर्दशी को भलगामडा में आपने दीक्षा ग्रहण की। देदादरा (सौराष्ट्र) में आपका स्वर्गवास हुआ। मुनि श्री देवचन्द्रजी स्वामी आपका जन्म मोरबी में हुआ। वि०सं० १९४१ ज्येष्ठ सुदि सप्तमी को सूरत में आप दीक्षित हुये। वि० सं० १९५६ में लीम्बड़ी में आपका स्वर्गवास हुआ। मुनि श्री खीमराजजी स्वामी आपका जन्म मुन्द्रा में हुआ। वि० सं० १९४२ कार्तिक वदि पंचमी को लीम्बड़ी में आपकी दीक्षा हुई। लीम्बड़ी में ही वि०सं० १९७९ को आपका स्वर्गवास हुआ। मुनि श्री करशनजी स्वामी कच्छ के रायडी ग्राम में आपका जन्म हुआ। वि० सं० १९४२ कार्तिक वदि पंचमी को लीम्बड़ी में आप दीक्षित हुए। वि०सं० १९९२ ज्येष्ठ वदि सप्तमी को सूरत में आपका स्वर्गगमन हुआ। मुनि श्री. टोकरशीजी स्वामी आपका जन्म मोरबी में हुआ। वि०सं० १९४२ माघ सुदि एकादशी को मांडवी में आपकी दीक्षा हुई। वि० सं० १९८९ आश्विन वदि चतुर्दशी को मोरवी में ही आपका स्वर्गवास हुआ। मुनि श्री प्रागजी स्वामी आपका जन्म भुवड (कच्छ) में हुआ। वि०सं० १९४३ वैशाख सुदि नवमी को भुवड़ में ही आप दीक्षित हुये। वि० सं० १९०५ में मोरबी में आप स्वर्गस्थ हुये। मुनि श्री सुन्दरजी स्वामी आपका जन्म विदड़ा (कच्छ) ग्राम में हुआ। वि०सं० १९४४. माघ सुदि द्वादशी को मुन्द्रा में आप दीक्षित हुये। लीम्बड़ी में वि० सं० १९८८ के वैशाख माह में आपका स्वर्गवास हुआ। मुनि श्री रायचन्द्रजी स्वामी _आप मुनि श्री सुन्दरजी स्वामी के सांसारिक भाई थे। वि० सं० १९४५ पौष पूर्णिमा को आप दीक्षित हुये और वि० सं० १९८४ में बांकानेर में आपका स्वर्गवास हुआ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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