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________________ ३१३ धर्मदासजी की परम्परा में उद्भूत गुजरात के सम्प्रदाय मुनि श्री वीरजी स्वामी कच्छ के रामणिया ग्राम में आपका जन्म हुआ। वि०सं० १८७० पौष वदि अष्टमी को रापर में आप दीक्षित हुये। मुनि श्री लक्ष्मीचन्दजी स्वामी ___टोडा (कच्छ) में आपका जन्म हुआ। वि०सं० १८७० पौष वदि अष्टमी को रापर में आप दीक्षित हुये। मुनि श्री हरजी स्वामी (छोटे) वि० सं० १८७० फाल्गुन वदि अष्टमी को आप दीक्षित हुये। अन्य जानकारी उपलब्ध नहीं है। मुनि श्री मोरारजी स्वामी आप वि० सं० १८७० में आप दीक्षित हुये। आपके जीवन से सम्बन्धित अन्य तिथियाँ उपलब्ध नहीं हैं। मुनि श्री खेतशीजी स्वामी आप भी वि०सं० १८७० में ही दीक्षित हुये। अन्य सूचना उपलब्ध नहीं है। मुनि श्री तेजशीजी स्वामी वि०सं० १८७० वैशाख सुदि त्रयोदशी को आपने भागवती दीक्षा ली। आपके जीवन से सम्बन्धित अन्य सूचना उपलब्ध नहीं है। मुनि श्री हंसराजजी स्वामी . आपके विषय में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। मुनि श्री देवकरणजी. स्वामी वि० सं० १८७१ वैशाख सुदि षष्ठी को आपने आर्हती दीक्षा ली। आपके जीवन से सम्बन्धित अन्य सूचनाएँ अनुपलब्ध हैं। मुनि श्री हरिजी स्वामी आपने वि० सं० १८७१ ज्येष्ठ सुदि पंचमी को दीक्षा ग्रहण की । अन्य सूचनाएँ अनुपलब्ध हैं। मुनि श्री पुंजाजी स्वामी वि०सं० १८७४ कार्तिक वदि प्रथमा को आपने दीक्षा ग्रहण की। इसके अतिरिक्त अन्य कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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