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________________ २१३ आचार्य लवजीऋषि और उनकी परम्परा मुनि श्री नवीनमुनिजी आपका जन्म वि० सं० १९९१ में चौथ का बड़वाड़ा में हुआ। वि० सं० २०३२ में आपने मोगामंडी में दीक्षा ग्रहण की। मुनि श्री छोटेलालजी की शिष्य परम्परा मुनि श्री रूपलालजी आपका जन्म दायेड़ा (उदयपुर) में हुआ। आप मुनि श्री छोटेलालजी के प्रथम शिष्य थे । वि०सं० १९५६ में मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी को आप दीक्षित हुए। वि०सं० १९७५ कार्तिक मास में हरियाणा के हाँसी में आपका स्वर्गवास हुआ। मुनि श्री नाथूलालजी आपका जन्म उदयपुर के पलाणा ग्राम के दुगड़ परिवार में हुआ। वि०सं० १९६१ आश्विन शुक्ला दशमी को उदयपुर में आप दीक्षित हुए। होश्यारपुर में मुनि श्री काशीरामजी के आचार्य पद महोत्सव में आपको ‘बहसत्री' पद पर प्रतिष्ठित किया गया। वि०सं० १९९९ ज्येष्ठ शुक्ला एकादशी को पंजाब के खरड़ ग्राम में आपका स्वर्गवास हो गया। आपके तीन शिष्य हए- व्याख्यान वाचस्पति श्री मदनलालजी, श्री मूलचन्दजी, श्री फूलचन्दजी 'स्वामीजी'। श्री राधाकिशनजी आपका जन्म उदयपुर के ब्राह्मण परिवार में हुआ। वि०सं० १९६१ पौष कृष्णा द्वादशी को उदयपुर में आप दीक्षित हुए। पंजाब के बुढ़लाड़ा मंडी में वि० सं० १९९८ में आपका स्वर्गवास हुआ। मुनि श्री रत्नचन्दजी आपका जन्म उदयपुर के नाई गाँव में ओसवाल परिवार में हुआ। वि०सं० १९६२ पौष कृष्णा सप्तमी को आपकी दीक्षा हुई । ६५ दिन की दीर्घ तपस्या के उपरान्त आपका स्वर्गवास हुआ। आपकी जन्म-तिथि, स्वर्गवास-तिथि उपलब्ध नहीं है। मुनि श्री बलवन्तरायजी आपका जन्म लुहारा (अमीनगर, उ०प्र०) में हुआ। आपके पिताजी का नाम श्री यादवरामजी और माता का नाम श्रीमती मामकौर देवी था । वि०सं० १९७६ वैशाख कृष्णा अष्टमी को मेरठ के खट्टा ग्राम में आपकी दीक्षा हुई। Jain Education International . For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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