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________________ १८८ स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास विहार क्षेत्र रहे हैं। आप एक विशिष्ट प्रतिभा के धनी तथा वरिष्ठ विभूति थे। यदि यह कहा जाय कि आप उच्च कोटि के आध्यात्मिक साधक और सरस्वती के साक्षात् उपासक थे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। सम्पूर्ण जैन समाज के चारो सम्प्रदायों की एक मात्र पूर्ण एवं प्रामाणिक ‘समग्र जैन चातुर्मास सूची के आप संप्रेरक, मार्गदर्शक व जन्मदाता हैं। आप जैसा 'जिनशासन गौरव' १८ दिसम्बर २००० को रात्रि ३.४५ बजे (पौष कृष्णा अष्टमी दिन सोमवार को) दिव्यज्योति में विलीन हो गया। आपके दो शिष्य हैं - श्री विनयमुनिजी 'वागीश' और श्री संजयमुनिजी। मुनि श्री कन्हैयालालजी 'कमल' की साहित्य सम्पदा धर्मानुयोग, चरणानुयोग, गणितानुयोग और द्रव्यानुयोग के अतिरिक्त आप द्वारा लिखित साहित्य निम्न है - 'जैनागम निर्देशिका, आयारदशा'(सानुवाद), कप्पसुत्तं'(सानुवाद), व्यवहारसुत्तं' (सानुवाद), 'स्थानांगसूत्र' (सानुवाद), 'समवायांगसूत्र, मूलसुत्ताणि, स्वाध्याय सुधा, 'सदुपदेश सुमन, मोक्षमार्ग दर्शक भाष्य कहानियाँ, सूर्यप्रज्ञप्ति, संजया-नियंठा, आचारांगसूत्र' (प्रथम एवं द्वितीय श्रुतस्कंध), सूयगडांगसुत्त, पञ्हवागरणसुत्त, निरयावलिकादि सूत्र, 'दशवैकालिकसूत्र, उत्तराध्ययनसूत्र, नंदीसूत्र, निशीथसूत्र, निशीथभाष्य, आगम आलोक' १ से १२ भाग, 'कल्याण चौबीसी, प्रतिक्रमणसूत्र (लघु संस्करण) और 'भावना आनुपूर्वी' आदि। आप द्वारा किये गये चातुर्मासों की सूची निम्न है - वि०सं० स्थान वि०सं० स्थान १९८९ सांडेराव २००२ अज्ञात १९९० ब्यावर २००३ अजमेर १९९१ जोधपुर सिंहपोल केकड़ी १९९२ सोजत सिटी १९९३ पाली २००६ हरमाड़ा १९९४ अज्ञात २००७ १९९५ किशनगढ़ २००८ सांडेराव १९९६ केकड़ी २००९ धनोप १९९७ पीह मारवाड़ २०१० मदनगंज १९९८ सांडेराव (किशनगढ़) अजमेर २० अजमेर २००० सादड़ी २०१२ २००१ सांडेराव २०१३ अजमेर २००४ २००५ ब्यावर बडू १९९९ जयपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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