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________________ १८७ १९९१ पीपाड़ or कुराली १९९४ २०१३ or or आचार्य जीवराजजी और उनकी परम्परा वि० सं० स्थान वि०सं० स्थान १९८९ बगड़ी २००८ खन्ना १९९० जयपुर २००९ भटिण्डा ब्यावर २०१० रोपड़ १९९२ २०११ १९९३ ब्यावर २०१२ खन्ना पालनपुर भटिण्डा १९९५ पाली २०१४ अबोहर १९९६ मदनगंज मण्डी २०१५ कालांवाली मण्डी (किशनगढ़) २०१६ सिरसा १९९७ ब्यावर २०१७ सिरसा १९९८ मेड़ताशहर २०१८ भटिण्डा १९९९ किशनगढ़ २०१९ भटिण्डा २००० पाली २०२० राजामण्डी हरमाड़ा २०२१ भटिण्डा दिल्ली २०२२ सिरसा मेरठ २०२३ माछीबाड़ा माछीबाड़ा २०२४ माछीबाड़ा २००५ अबोहर २०२५ माछीबाड़ा सिरसा २०२६ खन्ना माछीबाड़ा २०२७ श्रमण संघीय उपाध्याय पं० रल कन्हैयालालजी 'कमल' आपका जन्म वि०सं० १९७० चैत्र शुक्ला नवमी (रामनवमी) को राजस्थान के जसनगर (केकिंद) में हुआ। आपके पिता का नाम श्री गोविन्दसिंहजी राजपुरोहित एवं माता का नाम श्रीमती यमुनादेवी था। वि०सं० १९८८ वैशाखा शक्ला षष्ठी को सांडेराव (राज.) में श्री फतेहचंदजी के शिष्यत्व में आपने आहती दीक्षा ली। दीक्षोपरान्त आपने आगम का तलस्पर्शी अध्ययन किया। आपको प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, पालि, हिन्दी, गुजराती, राजस्थानी व अंग्रेजी आदि भाषाओं की अच्छी जानकारी थी। आपने अपनी संयमपर्याय के विगत २५ वर्षों में आगम अनुयोग (चारो अनुयोगों) का संकलन व अनुवाद का कार्य किया। दिनांक १३ मई १९८७ के पूना सम्मेलन में आप श्रमणसंघ के सलाहकार पद पर और ६ फरवरी १९९४ को जयपुर में आप श्रमणसंघ के उपाध्याय पद पर अधिष्ठित हुये। राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि प्रान्त आपके २००१ २००२ २००३ २००४ २००६ २००७ खन्ना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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