SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 198
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८० स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास पुष्करमुनिजी के सान्निध्य में अजमेर में आप दीक्षित हुये। आपने जैन सिद्धान्त विशारद' व पाथर्डी की धार्मिक परीक्षा उत्तीर्ण की है। आपकी प्रकाशित पुस्तकें इस प्रकार हैं एक राग भजन अनेक, प्रिय कहानियाँ, अमर गुरु चालीसा, पुष्कर गुरु चालीसा, अध्यात्म साधना, अध्यात्म प्रेरणा, स्तोत्र, पुष्कर-सूक्ति-कोष, बोध कथाएं, अध्यात्म कहानियाँ आदि। साथ ही, आपने साध्वीरत्न श्री पुष्पवतीजी म० के अभिनन्दन ग्रन्थ का भी सफल सम्पादन किया है। मुनि श्री नरेशमुनिजी - आपका जन्म दिल्ली में हुआ। आप श्री रतनलालजी लोढ़ा और श्रीमती कमलादेवी लोढ़ा के पुत्र हैं। वि०सं० २०३९ ज्येष्ठ सुदि चतुर्दशी तदनुसार ५ जून १९८२ को राजस्थान के बाड़मेर जिलान्तर्गत गढ़सिवाना ग्राम में उपाध्याय पुष्करमुनिजी के सान्निध्य में आप दीक्षित हुये। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, हिमाचलप्रदेश आदि प्रान्त आपका विहार क्षेत्र है। मुनि श्री सुरेन्दमुनिजी. - आपका जन्म वि०सं० २०३१ श्रावण शुक्ला सप्तमी को हुआ। जन्म-स्थान ज्ञात नहीं हो सका है। आपकी माता का नाम श्रीमती प्रेमबाई व पिता का नाम श्री चाँदमलजी बम्ब है। २९ नवम्बर १९८० को महासती पृष्पवतीजी की सप्रेरणा से डॉ० राजेन्द्रमुनिजी के शिष्यत्व में अहमदनगर में आपने दीक्षा अंगीकार की। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश एवं पंजाब आदि प्रान्त आपका विहार क्षेत्र है। मुनि श्री शालिभद्रजी - आपका जन्म २४ जून १९७९ को जयपुर में हुआ। आपके पिता का नाम श्री भंवरलालजी और माता का नाम श्रीमती किरणदेवी है। महासती चरित्रप्रभाजी की सप्रेरणा से २८ मार्च १९९३ को उदयपुर में श्री नरेशमनिजी के शिष्यत्व में आपने दीक्षा ग्रहण की। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब आदि आपका विहार क्षेत्र है। मुनि श्री. गीतेशमुनिजी - आप श्री गणेशमुनिजी शास्त्री के शिष्य हैं। आपके विषय में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी है। ___मुनि श्री दीपेन्द्रमुनिजी और मुनि श्री पुष्पेन्द्रमुनिजी का जीवन परिचय उपलब्ध नहीं हो सका है। वर्तमान में यह परम्परा श्रमणसंघ में सन्निहित हो गई है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy