SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३८२ डुंगरसीजी स्वामी और उनका गोंडल सम्प्रदाय ३२९ गोंडल (मोटा पक्ष) सम्प्रदाय की पट्ट-परम्परा ३२९ गोंडल संघाणी सम्प्रदाय ३३१ श्री वनाजी और उनका बरवाला सम्प्रदाय ३३१ ध्रांगध्रा एवं बोटाद सम्प्रदाय ३३३ सायला सम्प्रदाय ३३३ कच्छ आठ कोटि मोटी पक्ष व नानी पक्ष ३३४ दशम अध्याय : आचार्य धर्मदासजी की पंजाब, मारवाड़ ३४६-३९५ एवं मेवाड़ की परम्पराएं (अ) गंगारामजी और उनकी परम्परा (पंजाब परम्परा) ३४६ (ब) धन्नाजी और उनकी परम्परा ३४८ १. आचार्य रघुनाथजी और उनकी परम्परा ३४९ २. आचार्य जयमल्लजी और उनकी परम्परा ३५५ ३. आचार्य रत्नवंश और उनकी परम्परा ३६२ (स) छोटे पृथ्वीचन्द्रजी की मेवाड़ परम्परा एकादश अध्याय :आचार्य धर्मदासजी की मालवा परम्परा ३९६-४३५ आचार्य रामचन्द्रजी की उज्जैन शाखा ३९७ मुनि श्री गंगारामजी की शाजापुर शाखा ४०१ मुनिश्री ज्ञानचन्दजी और उनकी परम्परा मालवा परम्परा के प्रभावी सन्त ४०३ मालवा परम्परा की दो लुप्त शाखाएँ ४०८ आचार्य उदयचन्दजी की रतलाम शाखा रतलाम शाखा के प्रभावी सन्त ४१७ द्वादश अध्याय : आचार्य मनोहरदासजी और उनकी परम्परा ४३६-४५७ आचार्य नूणकरणजी और उनकी परम्परा ४५५ त्रयोदश अध्याय : आचार्य हरजीस्वामी और उनकी परम्परा ४५८-४९८ आचार्य दौलतरामजी और उनकी परम्परा ४५९ आचार्य हुक्मीचन्दजी और उनकी परम्परा ४६५ हुक्मगच्छीय साधुमार्गी शान्तिक्रान्ति सम्प्रदाय आचार्य मनालालजी और उनकी परम्परा मनालालजी की सम्प्रदाय के प्रभावी सन्त परिशिष्ट : ४९९-५९१ सन्दर्भ ग्रन्थ सूची ५९२-५९५ ४०२ ४१० ४७३ ४७४ ४७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy