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________________ १४१ लोकाशाह और उनकी धर्मक्रान्ति १२. पणयालीस अधिकमया जनई,प्राग्वाट पहिलई सा जनई । १३. पाग्वाट-इतिहास, पृ०-२५८ १४. जैनधर्म का मौलिक इतिहास, भाग-४, पृ०-७०३ १५. भद्रबाहु चरित्र, पृ०-९० १६. जैन दिवाकर स्मृति ग्रन्थ, पृ०-५५८ १७. अहमदाबाद नगर मंझारि, लुंकर महतो वसइ विचारि । १८. इण मतिणी संभलियो आदि, गुज्जर देशि अहमुदावाद । कुमति विध्वंसण चौपाई, ९१ १९. आ महात्मा नो जन्म अरहड़वाडा नी ओसवाल गृहस्थ चौधरी अटकना सेठ हेमाभाई नी पतिव्रतपरायण भार्या गंगा बाई नी कुक्षी नो हतो २०. जिणधर जी गच्छ खडतरा, महता हमारी जात । मारु देश ए मैं रहऊँ शहर खरंटिया वास ॥ एक पातरिया गच्छ पट्टावली, ६ । २१. इक पोसालिया तिणां सिद्धान्त रा पुस्तक भूहरा मांहिं पड्यां ने उदेही लागे, गल गया जानी जालौर रो वासी महाप्रवीण साह लूंको लेखक तिण नेबुलावीछीनो राखी पुस्तक लिखण रो दूहो दीनो। २२. जैन धर्म का मौलिक इतिहास, भाग-४, पृष्ठ- ७०४ २३. ऐतिहासिक नोंध, पृष्ठ-११६, उद्धृत- जैन दर्म का मौलिक इतिहास, भाग-४, पृ०-७०९ २४ दया धर्म चौपई- ॥३॥ इण कालई सौराष्ट्र धरा मंई नागवेष तटिनी तटगांवई । हश्चिन्द्र श्रेष्ठी तिहां वसई वउंधी बाई धरणी शील लसई ॥१०॥, चौबीस कडी के सिल्लोके २६. भद्रबाहु चरित्र, पृष्ठ- ९० २७. श्रीमद् विजयराजेन्द्रसूरि स्मारक-ग्रन्थ, श्री भंवरलालजी नाहटा का लेख लुकाशाह और उनके अनुयायी, पृ०-४७२ २८. वही, पृ०- ४७३ २९. वही ३०. वही, पृ०-४७४ ३१. वही ३२. जैनधर्म का मौलिक इतिहास भाग-४, पृ०-७३६-७३७ ३३. वही, पृ०- ७२९ ३४. जैनधर्म का मौलिक इतिहास, भाग-४, पृ०-७१७ ३५. पट्टवली प्रबन्ध-संग्रह, पृ०- १०२ ३६. गुरुदेव जी रत्न मुनि स्मृति ग्रन्थ,पृ०-३ "नवि ओधउ नवि मुंहती। नवि कंबल नवि दण्ड । सिर मुंडावई मल धरई, विहरइ फाटा वेस ।। मल चीगर चीबर धरई पात्रि हीन दीहि लेप । नीच कुल लीई आटारि...." पं० दलसुख भाई मालवणिया, लोकाशाह और उनकी विचारधारा, गुरुदेव श्री रत्नमुनि स्मृति ग्रन्थ, पृ०-३६९-३७० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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