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________________ चतुर्थ अध्याय लोकाशाह और उनकी धर्मक्रान्ति लोकाशाह का जीवन परिचय श्वेताम्बर परम्परा में मूर्तिपूजा के विरुद्ध अपना स्वर मुखर करनेवालों में क्रान्तदर्शी लोकाशाह प्रथम व्यक्ति थे । समकालीन साहित्यिक साक्ष्यों से यह सुनिश्चित हो जाता है कि लोकाशाह का जन्म ईसा की १५ वीं शताब्दी पूर्वार्द्ध में हुआ था । लोकाशाह की जन्म-तिथि को लेकर अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं । कोई उनका जन्म ई० सन् १४१८ तदनुसार वि०सं० १४७५ में मानता है तो कोई ई० सन् १४२५ तदनुसार वि०सं० १४८२ में और कोई ई०सन् १४१५ तदनुसार वि०सं० १४७२ में मानता है। इन तीनों तिथियों में लगभग १०वर्ष का अन्तर आता है जो हमारी दृष्टि में विशेष महत्त्वपूर्ण नहीं है । डॉ० तेज सिंह गौड़ ने इनमें से ई० सन् १४२५ अर्थात् वि०सं० १४८२ को ऐतिहासिक दृष्टि से उचित माना है, किन्तु मेरी दृष्टि में उनका यह निर्णय समुचित नहीं है । लावण्यसमय की 'सिद्धान्त चौपाई' जो कार्तिक शुक्ला अष्टमी वि०सं० १५४३ की रचना है उसमें उन्होंने वी०नि०सं०१९४५ तदनुसार वि० सं० १४७५ के पश्चात् लोकाशाह के जन्म का उल्लेख किया है। इसी तिथि से सम्बन्धित दूसरा उल्लेख मुनि श्री बीका जी के 'असूत्रनिराकरण बत्तीसी' में मिलता है । इस कृति के अनुसार भी लोकाशाह का जन्म वी०नि सं० १९४५ तदनुसार वि० सं० १४७५ में हुआ है। यद्यपि ये दोनों उल्लेख लोकाशाह के विरोधियों के हैं, किन्तु लगभग उनके समकालीन लेखकों के द्वारा उल्लेखित होने से मुझे अधिक प्रामाणिक प्रतीत होते हैं । इनके अनुसार लोकाशाह का जन्म ई० सन् १४१८ तदनुसार वि०सं० १४७५ के कार्तिक सुदि पूर्णिमा को हुआ, यह माना जा सकता है। इसी मत का समर्थन आचार्य हस्तीमलजी ने अपनी कृति 'जैन धर्म का मौलिक इतिहास', भाग-४ में भी किया है। दूसरा मत लोकाशाह का जन्म वि० सं० १४८२ की वैशाख कृष्णा चतुर्दशी को मानता है । इस मत का समर्थन यति भानुचन्द्रजी की वि०सं० १५७८ में रचित 'दयाधर्म की चौपाई' से होता है । तपागच्छीय यति कान्ति विजय जी की रचना 'लोकाशाहनुं जीवन' (प्रभुवीर पट्टावली) से भी इस मत का समर्थन होता है। यद्यपि दोनों में तिथि को लेकर अन्तर है। जहाँ भानुचन्द्रजी ने वैशाख कृष्णा चतुर्दशी बताया है वहाँ कान्तिविजयजी ने कार्तिक शुक्ला पूर्णिमा कहा है। तीसरा मत लोकाशाह का जन्म ई० सन् १४२० तदनुसार वि०सं० १४७७ में मानता है । इस मत का आधार लोकागच्छीय यति केशवजी की रचना 'चौबीस कड़ी के सिल्लोके' है।५ चौथा मत उनका जन्म ई० सन् १४१५ तदनुसार वि०सं० १४७२ में मानता है । इस मत का उल्लेख डॉ० तेजसिंह गौड़ ने अपने लेख Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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