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नवम अध्याय में पुनर्जन्म, परलोक जैसे संप्रत्यय जो आधुनिक युग का चर्चास्पद एवं विवादास्पद विषय है, वह भी जीव से ही संबंधित है, उस पर चिन्तन किया गया है। आत्मा के अस्तित्व तथा कर्म की सत्ता मान लेने पर पुनर्जन्म व परलोक की सत्ता स्वयं ही सिद्ध हो जाती है। इसी अध्याय में स्वर्ग एवं नरकलोक के अस्तित्व को भी सिद्ध किया गया है।
दशम अध्याय में निह्नवों के व्यक्तिगत वादों की समीक्षा की गई है। निह्नवों के संघ में रहकर के अपने सिद्धान्तों की स्थापना के लिए कई तर्क प्रस्तुत किये।
एकादश अध्याय उपसंहार रूप में है। इसमें शोध के विवेच्य विषय का संक्षिप्त निष्कर्ष दिया गया है।
अनुसंधित्सु साध्वी विचक्षण श्री
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