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नियुक्ति
सूत्र और अर्थ का निश्चित सम्बन्ध बतलाने वाली व्याख्या का नाम नियुक्ति है।' भाषा, शैली और विषय की दृष्टि से नियुक्तियां सर्वाधिक प्राचीन हैं। नियुक्तियां प्रायः गाथाओं में होती हैं। इनमें ग्रन्थ की विषयवस्तु का संक्षेप में प्रस्तुत किया जाता है। आचार्य भद्रबाहु ने निम्न 10 नियुक्तियों की रचना की थी -
1. आवश्यक नियुक्ति - इसमें आवश्यक सूत्र के सामायिकादि 6 अध्ययनों की
पद्यबद्ध प्राकृत व्याख्या है तथा ऋषभदेव एवं महावीर प्रभु का जीवन चरित्र विस्तार से वर्णित है। दशवैकालिक नियुक्ति – 371 गाथाओं में अनेक लौकिक व धार्मिक कथाओं एवं सूक्तियों के द्वारा दशवैकालिक सूत्र के अर्थ को स्पष्ट किया है। उत्तराध्ययन नियुक्ति - प्रत्येक अध्ययन की विषयवस्तु का निक्षेप के साथ विवेचन किया गया है। इसमें 607 गाथाएँ हैं। आचारांग नियुक्ति - यह नियुक्ति आचारांग सूत्र के दोनों श्रुत स्कंधों पर
आधारित है। इसमें 347 गाथाएँ हैं। 5. सूत्रकृतांग नियुक्ति - सूत्रकृतांग के पदों की निक्षेप पद्धति से व्याख्या की गई
है। इसमें 205 गाथाएँ हैं। दशाश्रुतस्कन्ध नियुक्ति - यह नियुक्ति दशाश्रुतस्कंध नामक छेदसूत्र पर है। इससे इसके प्रत्येक अध्ययन पर चिन्तन किया गया है।
बृहत्कल्प नियुक्ति - श्रमण-श्रमणियों के आचार-विचार, आहार-विहार का ___संक्षेप में बहुत ही सुन्दर, सहज एवं सरल शैली में वर्णन है।
व्यवहार नियुक्ति - इसमें भी आचार और व्यवहार का विवेचन है।
इसी प्रकार और भी नियुक्तियाँ मिलती हैं, जैसे - संसक्तनियुक्ति, निशीथनियुक्ति, गोविन्द नियुक्ति, आराधना नियुक्ति और ऋषिभाषित, सूर्यप्रज्ञप्ति नियुक्ति संप्रति अनुपलब्ध है।
1 आवश्यक नियुक्ति, गाथा 83 २ जिनवाणी (जैनागम विशेषांक), वही, पृ. 476
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